
बस एक कील चुभाना बाँकी है।
प्रश्नों की श्रृंखला से घेर चुका हूँ तुमको
बस एक आरटीआई लगाना बाँकी है।
काफी परीक्षा हो चुकी हमारी
अब तो मात्र प्रमाणपत्र लेना बाँकी है।
भ्रष्टाचार के चारों तरफ पेट्रोल डाल चुका हूँ मैं
अब आग ईमानदारी का लगाना बाँकी है।
क्रिकेट के पचड़े में ही पड़े रहेंगे जमाने वाले
देश की समस्याओं का समाधान अभी बाँकी है।
भरोसा दिलाया है वित्तमंत्री ने हमको
सब कुछ ठीक हो जाएगा एक झटके में
बस काला धन को वापस लाना बाँकी है।
बिना तैयारी के हम चले थे नक्सलवाद मिटाने
कुछ लाश और आने बाँकी है।
समया को ये नहीं उपर से देखेंगे
इतजार करें, एक नया आयोग बनना बाँकी है।
खत्म हो गई अब सीबीआई के प्रति विश्वसीयता
पता नहीं क्यों कुछ लोगों को अभी भी आस बाँकी है।
हद की सीमा पार करनेवाले पता नहीं क्यों है बेखबर
उनको हद में लाने वाले अंकुश का निर्माण अभी बाँकी है
क्या हिटलरशाही व्यवस्था ही ठीक कर सकती है देश को?
या देश की जनता को बापू के प्रति विश्वास अभी बाँकी है।
वादा है मेरा आपसे नकाब हटा दूँगा उनका
सुबह देखना फिर एक सच्चाई, अभी तो रात बाँकी है
सावधान कर रहा हूँ गाँव के प्रेमियों को
खास पंचायतों के फैसले आने बाँकी है।
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गोपाल प्रसाद (RTI ACTIVIST)
मंडावली, दिल्ली - 92
6 टिप्पणियाँ
आपका काम आपकी कविता में दिखता है।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
sahi kataksh sunder kavita
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंविचार्णीय कविता
जवाब देंहटाएंआपने देश कि समस्याओं को बखूबी निहारा है ... हमारी सारी व्यथाएँ दूर हो जाएँगी बस एक नई क्रांती का लामा बाकि है .......................
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.