
अच्छा तो हम चलते है तेरे इस शहर दीवाने से
करते है लोग बगावत इक यहाँ हमारे आने से
गुमनाम ओ पोशीदा इंसान जो जो हुए है यहाँ
वो मारे डर के नहीं निकला करते बूतखाने से
क्या बात हुई है जो करके आये हो आँखे लाल
ना लगता हमें की समझ जाओगे समझाने से
ये मुद्दा भी तेरा जिक्र भी तेरा करू हूँ दिल्ली
पहले ही उजाड़ देते है लोग घर को बसाने से
जितने पाक बदन और जितने काजी है यहाँ
सबसे कह दो की जरा दूर रहे उस दीवाने से
है बहुत नाराज हमसे और भला क्या कहिये
पर मान जावेंगे सुनो हो इक गले लगाने से
दीदा-ए-तर होकर भी झूठे ही रहोगे 'बेदिल'
भला किसको मिला है यकीन टेसुए बहाने से
4 टिप्पणियाँ
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
है बहुत नाराज हमसे और भला क्या कहिये
जवाब देंहटाएंपर मान जावेंगे सुनो हो इक गले लगाने से
क्या बात है....बहुत अच्छे.....
आभार और
बधाई आपको दीपक बेदिल जी...
दीदा-ए-तर होकर भी झूठे ही रहोगे 'बेदिल'
जवाब देंहटाएंभला किसको मिला है यकीन टेसुए बहाने से
Bahut hi nayaab sher apni nageenedari se apni pehchaan bana raha hai
daad ke saath
bhot bhot shukriya aapka..
जवाब देंहटाएंmitti k jarre ko aasmaan bana rahe ho
miya khud hi mout ka samaan bana rahe ho
sar jhukaaye hue
deepak "bedil"
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.