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यादों की तितलियाँ [कविता] - मोहिन्दर कुमार

बिछुड कर मुझसे तुम
हर सू हो गये हो
पहले सिर्फ मेरी ज़ॉं थे
अब रूह हो गये हो

तलाशने की तुमको
अब जरूरत नही रही
हवाओं मे घुल के अब तुम
खुशबू हो गये हो

तम्हारे लिये अव सफर,
सफर नही रहा
फासलों से हट कर
खुद मंजिल हो गये हो

जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो


रातों को, यादों की तेरी
दिल में तितलियां उडें
नीदें उडा के मेरी
खामोश सो गये हो

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