
हर सू हो गये हो
पहले सिर्फ मेरी ज़ॉं थे
अब रूह हो गये हो
तलाशने की तुमको
अब जरूरत नही रही
हवाओं मे घुल के अब तुम
खुशबू हो गये हो
तम्हारे लिये अव सफर,
सफर नही रहा
फासलों से हट कर
खुद मंजिल हो गये हो
जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो
रातों को, यादों की तेरी
दिल में तितलियां उडें
नीदें उडा के मेरी
खामोश सो गये हो
6 टिप्पणियाँ
''नीदें उडा के मेरी
जवाब देंहटाएंखामोश सो गये हो''
ये तो हद हो गई.
वाह! बहुत सुन्दर!!
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत ही मधुर रचना। बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना, बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.