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बन्दर की सगाई [बाल कविता] - आकांक्षा यादव

बन्दर की तय हुई सगाई
सबने खाई खूब मिठाई
कोयल गाये कू-कू-कू
हाथी ने चिंघाड़ लगाई।

ड्रम बाजे डम-डम-डम
भालू नाचा छम-छम-छम
चारों तरफ खुशहाली आई
जंगल में बज उठी बधाई।

पहन सुन्दर सी शेरवानी
बन्दर जी ने बांधा सेहरा
सभी लोग उतारें नजरें
खिल रहा बंदर का चेहरा।

कार पर चढ़ बन्दर निकले
बाराती भी खूब सजे
सबने दावत खूब उड़ाई
धूमधाम से हुई सगाई।

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10 टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छी बाल कविता है, बधाई।

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  2. :) जब सगायी इतनी धूम धाम से हुई तो शादी का क्या होगा? :)

    जवाब देंहटाएं
  3. सरल सहज भाषा में बच्चे इसे याद कर सकते हैं आसानी से...बहुत सुंदर.....


    आकांक्षा जी!
    बधाई..

    सस्नेह
    गीता .

    जवाब देंहटाएं
  4. Aasaanii se bachhon kii zubaan par chadh jaane waalii is kavitaa ke liye jahaan kavyitrii Aakaankshaa Yadav badhaaii kii patra hain wahin saahitya-shilpii is prastut karane ke liye.

    जवाब देंहटाएं

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