
जब आग बुझी होगी
तो बाक़ी बचेगा क्या
बस बर्फ जमीं होगी
ये सर्द बनती है
बर्फीली हवाएं हैं
ये खूब सताती हैं
ये बर्फ तो पिघलेगी
बस दिल को गर्म रखना
मजबूर हो पिघलेगी
ये बर्फ जमाये तो
सांसों को गर्म रखना
जब सर्द बनाये तो
ठिठुरन तो होगी ही
ये बर्फ की मन मानी
पर ये भी पिघलेगी
ये सर्द हवाएं हैं
ये प्यार के रिश्तों को
बस बर्फ बनाएं हैं
क्यों चुप्पी छाई है
इन लम्बी रातों में
क्यों बर्फ जमाई है
कुछ बर्फ पिघलने दो
बस दिल को गर्म रखना
बस दिल को धडकने दो
किस किस को बताओगे
जो बर्फ सी यादें हैं
किस किस को सुनाओगे
यादें कैसे भूलूँ
ये बर्फ सी जम जातीं
उन को कैसे भूलूँ
जब बर्फ जमी होगी
दिल की गर्माहट से
कुछ तो पिघली होगी
यादें पथरीली हैं
वे दिल को जमातीं हैं
ऐसी बर्फीली हैं
ये केश हैं अम्मा के
ये बर्फ के जैसे हैं
बीते दिन अम्मा के
विधवा के आंचल सी
ये बर्फ की चादर है
दुःख की बदली जैसी
5 टिप्पणियाँ
बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंAvaneesh
अच्छी कल्पनायें हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव हैं....
जवाब देंहटाएंआभार व्यथित जी...
हर त्रिपदी गागर में सागर... साधुवाद.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.