
क्योंकि उसमें वो त्याग और परोपकार
का भाव नहीं होता
मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
क्योंकि उसमें दूसरों द्वारा पहुँचाए कष्ट
सहने की ताकत नहीं होती
मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
क्योंकि वह अपनी जड़ें खोदने वाले
को कभी शरण नहीं देता
मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
क्योंकि वह करता नहीं क्षमा
याद रखता है और बदला लेता है
मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
क्योंकि अपना सब कुछ मनुष्यों के
लिए अर्पण करने वाले वृक्ष को भी
मनुष्य नहीं बख़्शता
काट डालता है
क्योंकि वह जलता है वृक्ष की नम्रता से
वृक्ष की कर्त्तव्य-निष्ठा से
मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
9 टिप्पणियाँ
मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
जवाब देंहटाएंक्योंकि अपना सब कुछ मनुष्यों के
लिए अर्पण करने वाले वृक्ष को भी
मनुष्य नहीं बख़्शता
काट डालता है
क्योंकि वह जलता है वृक्ष की नम्रता से
वृक्ष की कर्त्तव्य-निष्ठा से
वृक्ष को बचाने का संकल्प आज सभी के लिये कर्तव्य है। इस कविता के लिये कविता जी को धन्यवाद।
सही कहा आपने कि मनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंmnushy vriksh nhi bnta thik hai pr swami ram krishn prm hns bnta hai jo ghas ki jden ukhdne pr us ke nishan swym ki pith pr anubhv krta hai
जवाब देंहटाएंyh kevl jankari hai
rchna sundr hai vishy ka achchha chynhai
jagook karta ek achha visay badahai
जवाब देंहटाएंवृक्ष और मनुष्य की तुलनात्मक सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनुष्य कभी वृक्ष नहीं बन सकता
जवाब देंहटाएंक्योंकि अपना सब कुछ मनुष्यों के
लिए अर्पण करने वाले वृक्ष को भी
मनुष्य नहीं बख़्शता
काट डालता है
क्योंकि वह जलता है वृक्ष की नम्रता से
वृक्ष की कर्त्तव्य-निष्ठा से
भाव अच्छे हैं।
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआप ने बहुत सही कहा मनुष्य कभी वृक्ष नही बन सकता
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.