
जैसा अब तक नहीं हुआ.
अमराई में मैना संग
झूमे-गाये फाग सुआ...
*
बम्बुलिया की छेड़े तान.
रात-रातभर जाग किसान.
कोई खेत न उजड़ा हो-
सूना मिले न कोई मचान.
प्यासा खुसरो रहे नहीं
गैल-गैल में मिले कुआ...
*
पनघट पर पैंजनी बजे,
बीर दिखे, भौजाई लजे.
चौपालों पर झाँझ बजा-
दास कबीरा राम भजे.
तजें सियासत राम-रहीम
देख न देखें कोई खुआ...
स्वर्ग करे भू का गुणगान.
मनुज देव से अधिक महान.
रसनिधि पा रसलीन 'सलिल'
हो अपना यह हिंदुस्तान.
हर दिल हो रसखान रहे
हरेक हाथ में मालपुआ...
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6 टिप्पणियाँ
सुन्दर रचना। आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंHappy New Year Salil ji
जवाब देंहटाएंसरस भावनाओं से परिपूर्ण
जवाब देंहटाएंआपका गीत बहुत मनमोहक है...
आपको सपरिवार नव वर्ष की शुभ कामनाएँ..आपकी लेखनी नव वर्ष में औ भी सुंदर नए रूपों में विकसित होकर आये...
.नमन मेरा..
गीता पंडित..
नव वर्ष मगलमय हो...
जवाब देंहटाएंbahut bhavpurn geet
जवाब देंहटाएंvaele aap ka likha sada hi uttam hota hai
van varsh mangalmy ho
saader
rachana
अद्वितीय सलिल जी .... नव-वर्ष की शुभकामनाएं ... सच में काफी अच्छा लगा पढ़ कर
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.