
आ नव प्रभात आ ||
नव कुसुम ला, नव गंध ला,
नव ऋचा के नव छंद ला ,
नव स्फूर्ति ला, नव उल्लास ला,
नव भोर संग नव प्रकाश ला,
आ नव प्रभात आ,
आ नव प्रभात आ ||
नव भक्त ला, नव पूजन ला,
नव भाव लिए नव अर्चन ला,
नव स्वास्थ्य ला, नव शुद्धि ला,
नव विवेक भरी नव बुद्धि ला,
आ नव प्रभात आ,
आ नव प्रभात आ ||
नव क्षितिज ला, नव सृष्टि ला,
नव चिंतन की नव दृष्टी ला,
नव समाज ला, नव देश ला,
नव वंश हेतु नव परिवेश ला,
आ नव प्रभात आ,
आ नव प्रभात आ||
6 टिप्पणियाँ
नव समाज ला, नव देश ला,
जवाब देंहटाएंनव वंश हेतु नव परिवेश ला,
Good one.
अच्छी कविता..बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना है। सधे हुए पद बंध है और सुलझे हुए उपमान हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर भावों से भरी सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंआभार...अवनीश जी..
.नव वर्ष की शुभ कामनाएँ ...
सुन्दर मनोभाव समेटे आशातीत रचना.
जवाब देंहटाएंनव भक्त ला, नव पूजन ला,
जवाब देंहटाएंनव भाव लिए नव अर्चन ला,
नव स्वास्थ्य ला, नव शुद्धि ला,
नव विवेक भरी नव बुद्धि ला,
ati sunder
aap kaha sach ho
badhai
rachana
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