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सेनसेक्स से सन्यास तक [व्यंग्य] - आलोक पुराणिक

यह निबंध उस छात्र की कापी से लिया गया है, जिसने निबंध प्रतियोगिता में टाप किया है। निबंध का विषय था-सेनसेक्स।

सेनसेक्स के बारे में, जैसा कि सब जानते हैं, कोई नहीं जानता।

सेनसेक्स कर्नाटक के देवेगौडा की तरह है, किसी को पता ना चलता, कब किधर कूद लेगा। सेनसेक्स एक आधुनिक कविता है, जिसका अर्थ किसी को नहीं पता। सेनसेक्स नरेंद्र मोदी की तरह है, जिसे आडवाणीजी सीरिसयली लें, तो आफत, ना लें तो ज्यादा आफत। मतलब सेनसेक्स यूं तो जाने क्या क्या है. पर वास्तव में यह क्या है, यह किसी को ना पता।

सेनसेक्स के कई फायदे हैं।

सेनसेक्स बंदे को सन्यास की तरफ ले जाता है।

इसकी प्रक्रिया यूं है कि बंदा सेनसेक्स के उछलने के साथ खुद उछलता है और उछल उछलकर यहां वहां से रकम बटोरकर सेनसेक्स में लगा देता है। फिर, एक दिन या दो दिनों तक सेनसेक्स बैठ जाता है। इसके साथ उछलने वाला इसकी यह गत देखकर लेट जाता है। फिर उठी ना पाता। उधार वापस मांगने वाले आते हैं। बंदा एकैदम खल्लास टाइप हो लेता है। दुनिया कितनी सेनसेक्सभंगुर है, यह बात उसे फौरन समझ में आ जाती है। और वह सन्यास की ओर उन्मुख हो जाता है। ऐसा हालांकि वह उधारवालो से बचने के लिए करता है। पर जैसे भी हो, वह सन्यासी तो हो ही जाता है। सेनसेक्स से समाधि तक का मामला ऐसे सैट हो जाता है।

सेनसेक्स का एक योगदान यह भी है कि यह .चरित्र को बिगड़ने से बचाता है।

सेनसेक्स में पैसे लगाने के बाद और सेनसेक्स के डूबने के बाद बंदा इत्ता फुक्का हो लेता है, वह ऐसा कुछ भी नहीं करने में असमर्थ हो जाता है, जिसे करने से चरित्र में किसी भी तरह का बिगाड़ आता है। बंदे के पास दारु तो छोड़ो चाय तक के पैसे ना बचते, दारु पीने की इच्छा भले ही बची रहे। इस तरह से हम कह सकते हैं कि सेनसेक्स में लपेटे में आया बंदा चाहकर भी अपना चरित्र नहीं बिगाड़ पाता।

सेनसेक्स के चक्कर में बंदा कई तरह के ऐबों से बच जाता है।

वरना सन्यास की तरफ की एक साइकिल यूं भी होती है बंदे के पास रकम होती है, फिर वह तरह तरह के ऐबों में पड़ता है। फिर ऐबों में पड़कर फुक्का होकर सन्यास गति को प्राप्त होता है।

सेनसेक्स इसमें ऐबों वाला हिस्सा हटा देता है, सेनसेक्स में रकम लगाकर बंदा सीधे सहज सन्यास गति में पहुंच जाता है। ऐबों की जगह सेनसेक्स आ जाता है और बंदा ऐब गति से बच जाता है।

इस तरह से हम कह सकते हैं कि सेनसेक्स का चरित्र निर्माण में महती योगदान रहता है।

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10 टिप्पणियाँ

  1. सत्य वचन आलोक जी :) अपना भी सेंसेक्स नें खासा चरित्र निर्माण कराया हुआ है

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  2. शीर्षक ही सब कुछ कह देता है आलोक जी। बहुत अच्छा व्यंग्य।

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  3. हम एक बार इस मोह के मायाजाल में पडे थे बाद में सन्यासी हो गये

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  4. गज़ब का सोचा है सनसैक्स से संयास का रिश्ता।

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  5. सेन sex में छुपा हुआ आनंद असीम है,
    आजाए गर उछाल पर; लगता ये भीम है,
    ख़ा जाए गर गुलाट तो बेड़ा गरक़ करे,
    'रुस्तम' भी जिसमे चित हुए,एसा ये gym है.

    -- mansoorali hashmi
    http://aatm-manthan.com

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  6. दोस्तों
    आपनी पोस्ट सोमवार(10-1-2011) के चर्चामंच पर देखिये ..........कल वक्त नहीं मिलेगा इसलिए आज ही बता रही हूँ ...........सोमवार को चर्चामंच पर आकर अपने विचारों से अवगत कराएँगे तो हार्दिक ख़ुशी होगी और हमारा हौसला भी बढेगा.
    http://charchamanch.uchcharan.com

    जवाब देंहटाएं

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