
खौलते पानी से हाथ जला लिया उसने
पानी से आग बुझती है
किसी से सुना होगा
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पानी से आग बुझती है
किसी से सुना होगा
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भागते भागते गिर कर मर गया कोई
जिन्दगी मौत से बदतर है
उसी से भाग रहा था
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टूटे नग कौन गहनों में बिठाता है
अब कोई ख्वाब नहीं
आंखें सूनी हैं
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रिश्तों के पुल आंसुओं से न बह जायें
यही सोच कर
अब वह रोता नहीं
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बात बनते बनते फ़िर से बिगड ही गई
लफ़्ज जुबां से न निकले
रिश्ता टूट गया
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उसने साथ जीने मरने की कसम खाई
मगर निभाई नहीं
शायद पचा ली
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उसको स्कूल या पढना कभी भाया नहीं
रात भर तारे गिने
मुहब्बत का असर
5 टिप्पणियाँ
'रात भर तारे गिने' गिनती तो इसी से सीख ली और प्रेम का ढाई आखर पढ़ा सो तो पंडित हो ही गया.
जवाब देंहटाएंसधी हुई क्षणिकायें हैं। बधाई मोहिन्दर जी।
जवाब देंहटाएंखौलते पानी से हाथ जला लिया उसने
जवाब देंहटाएंपानी से आग बुझती है
किसी से सुना होगा
her ek najm dil ko chu gayi .BAdhai sweekar karen...
मन भावन क्षणिकाएं हैं मोहिन्दर जी....
जवाब देंहटाएंबधाई...
bahut khoon sir ji..
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.