
दादीजी का चश्मा खोया ,
सबकी आफत आई .
सब मिल खोज रहे हैं फिर भी
पड़ा नहीं दिखलाई .
दादी अपने सर पर देखो ,
मीना जब चिल्लाई .
राम राम फिर गजब हो गया
दादीजी शरमाई .
***
दूध का कमाल
पीकर गरम गरम दुद्धू ,
बुद्धू नहीं रहा बुद्धू .
खुले अकल के ताले सब,
नहीं अकल के लाले अब .
सुनकर अब अटपटे सबाल ,
खड़े न होते सिर के बाल .
हर जबाब अब उसके पास ,
सब उससे कहते शाबाश .
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डॉ. नागेश पांडेय "संजय"
सुभाष नगर , शाहजहाँपुर,
उत्तर प्रदेश (भारत) - 242001.
3 टिप्पणियाँ
acchaa shishu geet.badhaaii.
जवाब देंहटाएंPrabhudayal Shrivastava
बच्चे सहजता से याद कर सकेंगे...
जवाब देंहटाएंसुंदर...
बधाई आपको...
बच्चों की सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंप्रभुदयाल श्रीवास्तव
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.