
कभी आहत, कभी खुशमिजाज ,
कभी असफल , कभी कामयाब,
कभी निर्धन , कभी बन नवाब ,
प्रयत्नशील मैं |
कभी सचेत , कभी बेखबर ,
कभी चिंचित , कभी बेफिकर,
कभी प्रसिद्ध , कभी बेजिकर,
प्रयत्नशील मैं |
कभी रुका सा , कभी रह-गुज़र,
कभी मंद हो, कभी रफ़्तार- भर,
कभी रात खो , कभी जग - सहर,
प्रयत्नशील मैं |
कभी असफल , कभी कामयाब,
कभी निर्धन , कभी बन नवाब ,
प्रयत्नशील मैं |
कभी सचेत , कभी बेखबर ,
कभी चिंचित , कभी बेफिकर,
कभी प्रसिद्ध , कभी बेजिकर,
प्रयत्नशील मैं |
कभी रुका सा , कभी रह-गुज़र,
कभी मंद हो, कभी रफ़्तार- भर,
कभी रात खो , कभी जग - सहर,
प्रयत्नशील मैं |
5 टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंमेरी प्रिय रचनाओं में से एक |
जवाब देंहटाएंइसे बांटने के लिए धन्यवाद |
अवनीश एस तिवारी
मुम्बई
bahut sunder likha hai.
जवाब देंहटाएंbadhai
rachaa
अच्छा लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंबधाई..
गीता .
ati sunder...ekaki mann ki pryatnasheelta...
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.