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धरती पर लाखों चुनमुन हैं [बाल कविता] - सुषमा गर्ग

चन्दा देखे धरती पे
धरती पे लाखों चुनमुन हैं
चुनमुन प्यारे प्यारे हैं
सारे जग से न्यारे हैं

एक दिन चाँद के मन में आयी
उसने माँ को बात सुनायी

सर्दी के दिन आऐ रे
मुझको ठँड सताऐ रे
सन सन करके पवन चले है
ठिठुर ठिठुर कर रात कटे है
मुझको ऊनी ड्रेस मँगा दे
सुंदर सी एक कैप लगा दे
नन्हे नन्हे मौजे ला दे
काले काले बूट मँगा दे

चन्दा की सुन बात रे
माता सोच के बोली रे

घटता बढता रोज तू
और कभी ना दिखता तू
कौन नाप की ड्रेस मँगायें
ये ना मेरी समझ में आये

किस उलझन में उलझा आजा
तू है नील गगन का राजा
मेरे प्यारे लाल लाडले
तेरा यूँ ही रूप सलोना
मेरी लाख दुआएँ तुझको
लगे कभी ना जादू टोना
तेरा रुप लुभाता है
तू मामा कहलाता है

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4 टिप्पणियाँ

  1. atyant lubhaavni, mridul aur komal kavita ...

    waah waah bahut achhi kavita

    badhaai !

    जवाब देंहटाएं
  2. चुनमुन प्यारे प्यारे हैं
    सारे जग से न्यारे हैं
    Badi hee sundar kavita hai,

    जवाब देंहटाएं
  3. बच्चों के लियें लेखन एक अहम
    समस्या के सुलझाव की और इशारा करता है....सुषमा जी..

    सुंदर बाल गीत के लियें आपको बधाई...

    जवाब देंहटाएं

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