
तुम मुझे मधुमास देना।
बहारों की स्वामिनी तुम,
नेह की हो देवदूती।
हर्ष की प्रतिमूर्ति हो तुम,
भाव की नदिया अछूती।
जिंदगी जब तृप्त कर दे,
तब मुझे तुम प्यास देना।
कंटकों का पंथ हूँ मैं,
और तुम अल्हड़ कली-सी।
कंकड़ों का ढेर मैं, तुम
मधुर मिसरी की डली-सी।
जिंदगी उपहास दे जब,
तब मुझे तुम हास देना।
तेज धारों पर पुलिन की
आस लेकर तिर रहा हूँ।
लिए झोली जनम-रीती,
भिखारी-सा फिर रहा हूँ।
भले कुछ देना न, लेकिन
दान का आभास देना।
जिंदगी मुझसे लड़ी है,
जिंदगी से मैं लड़ा हूँ।
पराजय के वक्ष पर, मैं
वज्र-पग रखकर खड़ा हूँ।
स्वयं से ही हार जाऊँ,
तब मुझे विश्वास देना।
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कवि परिचय:

डा. नागेश पांडेय 'संजय' , मूलत : बाल साहित्यकार , बड़ों के लिए भी गीत एवं कविताओं का सृजन ; जन्म: ०२ जुलाई १९७४ ; खुटार ,शाहजहांपुर , उत्तर प्रदेश . माता: श्रीमती निर्मला पांडेय , पिता : श्री बाबूराम पांडेय ; शिक्षा : एम्. ए. {हिंदी, संस्कृत }, एम्. काम. एम्. एड. , पी. एच. डी. [विषय : बाल साहित्य के समीक्षा सिद्धांत }, स्लेट [ हिंदी, शिक्षा शास्त्र ] ; सम्प्रति : प्राध्यापक एवं विभागाद्यक्ष , बी. एड. राजेंद्र प्रसाद पी. जी. कालेज , मीरगंज, बरेली . १९८६ से साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय , . प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में गीत एवं कविताओं के अतिरिक्त बच्चों के लिए कहानी , कविता , एकांकी , पहेलियाँ और यात्रावृत्त प्रकाशित .बाल रचनाओं के अंग्रेजी, पंजाबी , गुजराती , सिंधी , मराठी , नेपाली , कन्नड़ , उर्दू , उड़िया आदि अनेक भाषाओं में अनुवाद . अनेक रचनाएँ दूरदर्शन तथा आकाशवाणी के नई दिल्ली , लखनऊ , रामपुर केन्द्रों से प्रसारित
7 टिप्पणियाँ
मधुर गीत है। शब्द संयोजना और भाव उत्तम।
जवाब देंहटाएंजिंदगी मुझसे लड़ी है,
जवाब देंहटाएंजिंदगी से मैं लड़ा हूँ।
पराजय के वक्ष पर, मैं
वज्र-पग रखकर खड़ा हूँ।
स्वयं से ही हार जाऊँ,
तब मुझे विश्वास देना।
बहुत सुन्दर
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
सच कहूँ आज छंद दूर दूर तक भी पढ़ने को नहीं मिलता आज ये छांदस कविता ...आहा....मेरे अंतर का छंद नर्तन करा रहा है....
जवाब देंहटाएंआभार संजय जी....बधाई आपको..
सस्नेह
गीता पंडित..
गीता जी से सहमत हूँ। बडी सधी हुई रचना है।
जवाब देंहटाएंगीत की सराहना के लिए समस्त गुणग्राहक पाठकों का आभारी हूँ .
जवाब देंहटाएंhttp://nageshpandeysanjay.blogspot.com/
अच्छा गीत...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.