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प्रियतम होते पास अगर [ग़ज़ल] - श्यामल सुमन



रचनाकार परिचय:-

10 जनवरी 1960 को चैनपुर (जिला सहरसा, बिहार) में जन्मे श्यामल सुमन में लिखने की ललक छात्र जीवन से ही रही है। स्थानीय समाचार पत्रों सहित देश की कई पत्रिकाओं में इनकी अनेक रचनायें प्रकाशित हुई हैं। स्थानीय टी.वी. चैनल एवं रेडियो स्टेशन में भी इनके गीत, ग़ज़ल का प्रसारण हुआ है।

अंतरजाल पत्रिका साहित्य कुंज, अनुभूति, हिन्दी नेस्ट, कृत्या आदि में भी इनकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित हैं।

इनका एक गीत ग़ज़ल संकलन शीघ्र प्रकाश्य है।

प्रियतम होते पास अगर
मिट जाती है प्यास जिगर

ढ़ूँढ़ रहा हूँ मैं बर्षों से
प्यार भरी वो खास नजर

टूटे दिल की तस्वीरों का
देता है आभास अधर

गिरकर रोज सम्भल जाएं तो
बढ़ता है विश्वास मगर

तंत्र कैद है शीतल घर में
जारी है संत्रास इधर

लोगों को छुटकारा दे दो
बन्द करो बकवास खबर

टूटे सपने सच हो जाएं
सुमन हृदय एहसास अगर

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5 टिप्पणियाँ

  1. Shyamal Suman ji
    Chote bahar mein gazal ko likhna aur mushkil hota hai, aur yahi aap aasaani se kar paate hain
    टूटे दिल की तस्वीरों का
    देता है आभास अधर
    ek sampoorn vichaar chand shabdon mein. Khoob kaha hai. Badhayi

    जवाब देंहटाएं
  2. देवी जी को सादर प्रणाम। आपका आशीर्वाद मिल गया और मेरी रचना सार्थक हो गयी।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. श्यामल जी
    चिरंजीव भवः

    ढ़ूँढ़ रहा हूँ मैं बर्षों से
    प्यार भरी वो खास नजर

    टूटे दिल की तस्वीरों का
    देता है आभास अधर

    गजल बार बार पढ़ी
    अद्धभुत मन को छू लेने वाली
    आप कौन से शब्द कोष से शब्द ढूंढते हैं
    आशीर्वाद के साथ
    आपकी गुड्डो दादी चिकागो से

    जवाब देंहटाएं
  5. श्यामल सुमन जी , इस गजल के लिए बधाई और उन गजलों के लिए भी जो मैने अनुभूति में पढीं जैसे कि
    ....
    टूटा सा घर देख रहे हो
    वह विद्यालय है सरकारी
    ....
    छीन रहा जो अधिकारों को
    क्यों कहलाता है अधिकारी ?

    जवाब देंहटाएं

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