HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

शेष धर [मुक्तिका] - आचार्य संजीव वर्मा "सलिल"

किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...

आया हूँ जाने को,
जाऊँगा आने को.
अपने स्वर में अपनी-
खुशी-पीर गाने को.

पिया अमिय-गरल एक संग
चिंता मत लेश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...

कोशिश का साथी हूँ.
आलस-आराती  हूँ.
मंजिल है दूल्हा तो-
मैं भी बाराती हूँ..

शिल्प, कथ्य, भाव, बिम्ब, रस.
सर पर कर केश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...

शब्दों का चाकर हूँ.
अर्थों की गागर हूँ.
मानो ना मानो तुम-
नटवर-नटनागर हूँ..

खुद को कर साधन तू
साध्य 'सलिल' देश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...

रचनाकार परिचय:-आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' नें नागरिक अभियंत्रण में त्रिवर्षीय डिप्लोमा. बी.ई.., एम. आई.ई., अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र में एम. ऐ.., एल-एल. बी., विशारद,, पत्रकारिता में डिप्लोमा, कंप्युटर ऍप्लिकेशन में डिप्लोमा किया है।
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि। वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी, मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।

एक टिप्पणी भेजें

3 टिप्पणियाँ

  1. शिल्प, कथ्य, भाव, बिम्ब, रस.
    सर पर कर केश धर.
    किया देना-पावना बहुत,
    अब तो कुछ शेष धर...
    sunder bhav
    saader
    rachana

    जवाब देंहटाएं
  2. खुद को कर साधन तू
    साध्य 'सलिल' देश धर.
    किया देना-पावना बहुत,
    अब तो कुछ शेष धर.


    जीबन के सत्य पथ को दिखाती सुंदर रचना..के लियें आभार...

    नमन

    .

    जवाब देंहटाएं
  3. गागर में सागर..
    जीवन की सत्यता के अत्यन्त समीप...

    जवाब देंहटाएं

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...