HeaderLarge

नवीनतम रचनाएं

6/recent/ticker-posts

सुमधुर स्वर [कविता] - कुलवंत सिंह

hindi poem (kavita)

गूंजता सुमधुर स्वर धरा नभ
छेड़ा किसने स्वप्निल तान .
पल्लवित पुलकित पावन प्रकृति
सुना रही क्या मधुरिम गान .

व्याकुल तन था अंतस अधीर
जीवन प्रस्तर नीरव भान .
सुचि सुर संयत शीतल समीर
आ आ कर भरे हृदय प्राण .

व्यथित विकल विकराल वेदना
कुंठित दुख का नही निदान .
संगीत लहर विमल अनुभूति
जाग्रत प्राण सहज मुस्कान .

पावन अंचल मन प्रांगण मौन
संचित पावक गात म्लान .
झरनों सी झर झर धाराएँ
बिखरे सुर मृदु स्वप्न समान .

धधक धधक कर जल रही अग्नि
फूट फूट नयनों से धार .
बह बह सुर संगीत अलौकिक
हंस हंस भरते जीवन सार .

आतप तापित गरल प्रवाहित
शापित कलुषित उलझी राह .
सरगम सरिता श्वास जगाती
भरती जग जीने की चाह .

एक टिप्पणी भेजें

4 टिप्पणियाँ

आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.

आइये कारवां बनायें...

~~~ साहित्य शिल्पी का पुस्तकालय निरंतर समृद्ध हो रहा है। इन्हें आप हमारी साईट से सीधे डाउनलोड कर के पढ सकते हैं ~~~~~~~

डाउनलोड करने के लिए चित्र पर क्लिक करें...