
जगते-जगते भाग्य सो गया पटवारी जी..
गैल-कुआँ घीसू का, कब्जा ठाकुर का है.
फसल बैर की, लोभ बो गया पटवारी जी..
मुखिया की मोंड़ी के भारी पाँव हुए तो.
बोझा किसका?, कौन ढो गया पटवारी जी..
कलम तुम्हारी जादू करती मान गये हम.
हरा चरोखर, खेत हो गया पटवारी जी..
नक्शा-खसरा-नकल न पायी पैर घिस गये.
कुल-कलंक सब टका धो गया पटवारी जी..
मुट्ठी गरम करो लेकिन फिर दाल गला दो.
स्वार्थ सधा, ईमान तो गया पटवारी जी..
कोशिश के धागे में आशाओं का मोती.
'सलिल' सिफारिश-हाथ पो गया पटवारी जी..
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि। वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी, मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।
5 टिप्पणियाँ
आप से एक नवीन, अलग रचना मिली |
जवाब देंहटाएंअच्छी है |
अवनीश तिवारी
गैल-कुआँ घीसू का, कब्जा ठाकुर का है.
जवाब देंहटाएंफसल बैर की, लोभ बो गया पटवारी जी..
मुखिया की मोंड़ी के भारी पाँव हुए तो.
बोझा किसका?, कौन ढो गया पटवारी जी..
kya sunder bhav hain .taja hawa se hai aap ki ye kavita
aur kya kahun
saader
rachana
अच्छी मुक्तिका
जवाब देंहटाएंaadarniy सलिल ji saperem abhivadan
जवाब देंहटाएंaapka kavita padh achhaa laga hardik badhai ...
हिन्दी में मुक्तिका एक सुंदर विधा के रूप में अपना स्थान बना रही है...
जवाब देंहटाएंआपका सहयोग इसमें प्रशंसनीय है...
सार्थक मुक्तिका के लियें आपका आभार..
नमन
गीता .
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.