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प्रेमगीत [कविता] - भावना शर्मा

रात अचानक
कोई तीखी सी
आवाज़
कानों को
बेध गयी ..

आँखे खुली
कानों से
सुनने का प्रयास

वही सूर,
आवाज़;
झिगुर है ..
जो अक्सर
रातों में
जागा करता है
इंसानों के
सो जाने के बाद
वो, प्रेमगीत गता है ..

यहाँ तोह मनष्य
प्रेम क भाषा ही
भूल गया है

तभी तो
चुभता है
उसका गाया हुआ
रात अचानक
कोई तीखी सी
आवाज़
कानों को
बेध गयी ..

आँखे खुली
कानों से
सुनने का प्रयास

वही सूर,
आवाज़;
झिगुर है ..
जो अक्सर
रातों में
जागा करता है
इंसानों के
सो जाने के बाद
वो, प्रेमगीत गता है ..

यहाँ तोह मनष्य
प्रेम क भाषा ही
भूल गया है

तभी तो
चुभता है
उसका गाया हुआ
प्रेमगीत भी ..

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कवियित्री भावना शर्मा नालंदा अकादमी, कोटा में कार्यरत हैं।
आप निरंतर अनेकों पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं।

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