टेढ़े - मेढ़े रास्तों पर और वो कितना चले
उसके जैसा यूँ तो चढ़ना जानता है हर कोई
कोई है ऐसा कि जो महताब के जैसा ढले
दुख से घबरा कर बिलखना कर दिया तुमने शुरू
क्या तुम्हारे सो गये हैं इतने में ही वलवले
इतनी हिम्मत है कहाँ जो रोक पायें हम उन्हें
मौत जैसा बनके अक़सर आते हैं कुछ ज़लज़ले
मान लेते हैं सभीके मशवरे हम दोस्तो
अपने तो सब फैसले होते हैं ऐसे फैसले
मेरे साथी , मुझको डर है कुछ कभी ऐसा न हो
तेरी हर जिद तेरी नज़रों को ही कचरे सी खले
पाओगे हर एक पल मुझको ही अपने आसपास
देख लेना " प्राण " तुम लग कर कभी मेरे गले
8 टिप्पणियाँ
वाह!! क्या बात है, आनन्द आ गया.
जवाब देंहटाएंप्राण जी को बधाई...
मेरे साथी , मुझको डर है कुछ कभी ऐसा न हो
तेरी हर जिद तेरी नज़रों को ही कचरे सी खले
अच्छी गज़ल..बधाई
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह दिल को छू जाने वाली गज़ल्……………बेहद शानदार्…………आभार्।
जवाब देंहटाएंमेरे साथी , मुझको डर है कुछ कभी ऐसा न हो
जवाब देंहटाएंतेरी हर जिद तेरी नज़रों को ही कचरे सी खले.
क्या बात है .बेहद उम्दा .
प्राण शर्मा जी बहुत ही सुंदर ग़ज़ल, खास कर ये मिसरा कुछ ज़्यादा ही अपील कर रहा है:-
जवाब देंहटाएंमान लेते हैं सभी के मशवरे हम दोस्तो
Pranji ki Ghazal ahmesha siksha pradaan karti hui aage badhti hai. bahut hi sunder kafion ka istemaal bakhoobi kiya hai
जवाब देंहटाएंइतनी हिम्मत है कहाँ जो रोक पायें हम उन्हें
मौत जैसा बनके अक़सर आते हैं कुछ ज़लज़ले
anand aa gaya padhte hue..waah
पाओगे हर एक पल मुझको ही अपने आसपास
जवाब देंहटाएंदेख लेना " प्राण " तुम लग कर कभी मेरे गले
waah pran saheb , waah !!!
is ek sher se aapne apni insaniyat ka parichay de diya .. waah waah , mera salam kabul kare sir .. poori gazal hi bahut sundar hai ...
aabhaar !!
achi gazal ke liye bhadai
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