
एक गेंद के पीछे दौड़ें ग्यारह-ग्यारह लोग.
एक अरब काम तज देखें, अजब भयानक रोग..
राम जी मुझे बचायें,
रोग यह दूर भगायें....
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परदेशी ने कह दिया कुछ सच्चा-कुछ झूठ.
भंग भरोसा हो रहा, जैसे मारी मूठ..
न आपस में टकरायें,
एक रहकर जय पायें...
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कड़ी परीक्षा ले रही, प्रकृति- सब हों एक.
सकें सीख जापान से, अनुशासन-श्रम नेक..
समर्पण-ज्योति जलायें,
'सलिल' मिलकर जय पायें...
आपकी प्रथम प्रकाशित कृति 'कलम के देव' भक्ति गीत संग्रह है। 'लोकतंत्र का मकबरा' तथा 'मीत मेरे' आपकी छंद मुक्त कविताओं के संग्रह हैं। आपकी चौथी प्रकाशित कृति है 'भूकंप के साथ जीना सीखें'। आपनें निर्माण के नूपुर, नींव के पत्थर, राम नम सुखदाई, तिनका-तिनका नीड़, सौरभ:, यदा-कदा, द्वार खड़े इतिहास के, काव्य मन्दाकिनी २००८ आदि पुस्तकों के साथ साथ अनेक पत्रिकाओं व स्मारिकाओं का भी संपादन किया है।
आपको देश-विदेश में १२ राज्यों की ५० सस्थाओं ने ७० सम्मानों से सम्मानित किया जिनमें प्रमुख हैं : आचार्य, २०वीन शताब्दी रत्न, सरस्वती रत्न, संपादक रत्न, विज्ञानं रत्न, शारदा सुत, श्रेष्ठ गीतकार, भाषा भूषण, चित्रांश गौरव, साहित्य गौरव, साहित्य वारिधि, साहित्य शिरोमणि, काव्य श्री, मानसरोवर साहित्य सम्मान, पाथेय सम्मान, वृक्ष मित्र सम्मान, आदि। वर्तमान में आप अनुविभागीय अधिकारी, मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग के रूप में कार्यरत हैं।
3 टिप्पणियाँ
अच्छी नवगीत...बधाई
जवाब देंहटाएंbhartiy srokaron ko sundrta se vykt kya hai
जवाब देंहटाएंhardik bdhai
sunder likha hai sahi soch
जवाब देंहटाएंkash hum abhi bhi sambhal jayen
saader
rachana
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