
एक चेहरा एक पल में
लाखों चेहरे जी रहा है
कौन जाने कौन सा चेहरा
हंस के आंसू पी रहा है
एक चेहरा लगता है अपना
एक क्यों बेगाना लगे
कौन दिल की बात कहता
कौन होठों को सी रहा है
कत्ल करते रोज इक चेहरा
रोज इक जन्म हो रहा है
एक जागे किसी की खातिर
आगोश में इक सो रहा है
एक चेहरा ख्वाब बन के
ख़्वाबों में बस जाता है
एक चेहरा अक्स बन के
नींदें किसी की पी रहा है
एक चेहरा अपनी दुनिया
हर चेहरे में बसाता है
एक चेहरा दुनिया में
बन के तमाशा जी रहा है,
बन के तमाशा जी रहा है….
4 टिप्पणियाँ
sundr
जवाब देंहटाएंbdhai
एक चेहरा दुनिया में
जवाब देंहटाएंबन के तमाशा जी रहा है,
-बहुत बढ़िया पंक्ति..
एक चेहरा लगता है अपना
जवाब देंहटाएंएक क्यों बेगाना लगे
कौन दिल की बात कहता
कौन होठों को सी रहा है
EXCELLENT LINES ..
अच्छी कविता..बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.