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चाइल्ड ऑफ मून [कहानी] - रचना श्रीवास्तव

पूर्वी की अलसाई सुबह जब जागने को होती तो वह जौगिंग के लिए जा रही होती। पूर्वी हाथ में चाय का प्याला और स्थानीय अख़बार लिए खिड़की पर आ जाती और उसको जाते हुए देखती। यदि उसकी नजर पूर्वी पर पड़ती तो हाथ उठाके हाय कहना नहीं भूलती .. बदले में पूर्वी भी मुस्कुरा देती . .बरफ पड़े या पानी बरसे या कोहरे की चादर हर शय को ढक दे, मौसम का कोई भी रूप हो मिस सुबह को जौगिंग पर जाने से नहीं रोक पाता...उसको यही नाम दिया था पूर्वी ने। उसका सुडौल बदन देख कर पूर्वी ने भी कई बार सोचा कि कल से ही वह जौगिंग करेगी पर वो कल कभी नहीं आता था...और पूर्वी पुनः अगले दिन जाने का सोच खुद को सांत्वना देती।

पूर्वी की पी एच डी अभी ख़त्म ही हुई थी कि उसको अर्डमोर में नौकरी मिल गई। ये छोटी सी जगह उसको अच्छी लगने लगी थी। यहाँ आये हुए पूर्वी को करीब एक साल होने को आया था। इस बीच पूर्वी मिस सुबह से कई बार मिली भी चुकी थी। पर पूर्वी उसके बारे में कोई भी धारणा नहीं बना पाती थी। हरबार वह एक नए ही मूड में मिलती। कभी लगता कि मासूमियत ने अभी अभी दमन पकड़ा है। कभी लगता कि सोच उसके चेहरे का साथ नहीं दे रही है पूर्वी उसको कभी भी समझ नहीं पाई थी।

उस दिन पूर्वी बहुत परेशान थी उसका बाथरूम अन्दर से बन्द हो गया था। वह समझ नहीं पा रही थी क्या करे? परेशानी की हालत में वह घर के बाहर टहल रही थी। तभी सामने से मिस सुबह आती दिखी।

"हाय आई ऍम रेचल"

ओह तो मिस सुबह का आम रेचल है पूर्वी ने सोचा।

"क्या कोई परेशानी है?", रेचल ने पुनः कहा।

"जी मेरा नाम पूर्वी है। मेरा बाथरूम अन्दर से बन्द हो गया है..समझ में नहीं आ रहा है क्या करूँ?"

"डोन्ट वरी "कह के रेचल अपने घर में चली गई वापस आई तो उसके हाथ में एक "जे" के आकार का मोटा तार था उसका एक सिरा चपटा था। हम अन्दर गए और उसने उस चिपटे सिरे से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। पूर्वी ने उसको धन्यवाद दिया। रेचल ने वो चाभी नुमा तार पूर्वी को दे दिया और अपने घर वापस चली गई। इसके बाद कई बार आते जाते रेचल दिखी पर कभी उसने देख के अनदेखा किया कभी अच्छे तरीके से हेल्लो किया। पूर्वी उसको कभी भी समझ नही पाई।

लैब में अत्यधिक काम और सेमिनार की तैयारी में पूर्वी बहुत व्यस्त हो गई इसी बीच मीटिंग के लिए उसको बोस्टन जाना पड़ा। अपने इस व्यस्त जीवन में वो मिस सुबह यानी रेचल के बारे में लगभग भूल ही चुकी थी। बौस्टन से आकर पूर्वी दरवाजा खोलने लगी थी तभी रेचल आती दिखी। उसके साथ उसका पति और गोद में एक नवजात बच्ची थी। ये प्रेग्नेंट भी थी पता ही न चला पूर्वी बुदबुदाई। तभी पास आकर रेचल ने कहा है "हाय पूर्वी"।

"हाय बहुत बहुत बधाई हो। कब हुई ये? क्या नाम है?"

"अभी २ दिन पहले। इसका नाम अमारिस है इसका मतलब होता है चाइल्ड ऑफ मून"

"बहुत अच्छा नाम है"

बाय कह कर रेचल और उसका पति घर चले गए।

पूर्वी पुनः अपने प्रयोगों की दुनिया में खो गई। आज पूर्वी का काम थोडा जल्दी ख़त्म हो गया। वह अपना सामान समेट ही रही थी कि उसकी सहेली आई और बोली कितना काम करेगी आज चल मेरे साथ। रोंस में बहुत अच्छी सेल लगी है और वह पूर्वी को जबरदस्ती ले गई। खरीदारी करते कपडे ट्राई करते बहुत देर होगई। घर आते समय पूर्वी सोच रही थी अच्छा ही हुआ की आज वो बाहर निकली उसको बहुत अच्छा लग रहा था। घर के पास पहुँचने पर उसने देखा कि रेचल के घरके सामने पुलिस की तीन कार और अम्बुलेंस खड़ी थी और पूरे घर को पीली पट्टी से घेरा हुआ था। कार गैरेज में खड़ी करके सामान की थैलियाँ निकाल वो घर में आगई पर उसका मन रेचल के घर के आसा पास ही घूम रहा था। क्या हुआ होगा उसने कई बार बाहर निकल के देखने और जानने की कोशिश की पर कुछ भी पता न चला। कुछ देर तक पुलिस की गाड़ियों की आवाज आती रही फिर वो भी बंद हो गई। पूर्वी ने बाहर झांक के देखा तो सब कुछ साफ था न गाड़ियाँ थी न अम्बुलेंस। रात आज कुछ ज्यादा गहरी और काली लग रही थी। क्या हुआ होगा? बस यही सवाल दिमाग में बार बार घूम रहा था। इस सवाल का जवाब खोजते खोजते पूर्वी सो गई।

सुबह उसकी आँख देर से खुली। रात की घटना पुनः आँखों के सामने घूमने लगी। क्या हुआ होगा ये सवाल पुनः माथे पर लटक गया। पूर्वी विचारो को झटक कर जल्दी जल्दी तैयार हो बाहर निकली। सामने सीढियों पर अख़बार पड़ा था उसने सोचा वापस आके पढेगी। यही सोचके अख़बार घर में रखने के लिए उठाया कुछ ऐसा लिखा था कि वह अख़बार खोल के पढने लगी। लिखा था - ड्रग के नशे में माँ ने बच्ची को वाशिंग मशीन में डाला। आगे लिखा था कि २७ वर्षीया रेचल ने दो महीने की बच्ची अमारिस को कपडे धोनी के मशीन में डालकर मशीन चला दी। घटना के समय बच्ची का पिता घर पर नहीं था। जब वह घर आया तो रेचल नशे में धुत्त पड़ी थी और बच्ची घर में कहीं दिख नहीं रही थी। रेचल को हिला के बच्ची के बारे में पूछा तो वह कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थी वाशिंग मशीन के चलने की आवाज सुकर पिता को शक हुआ उसने जल्दी से मशीन को बंद किया और उसमे झाँका तो............. .बच्ची को अस्पताल लाया गया पर उसको बचाया न जा सका। पूर्वी वहीँ बैठ गई। रेचल और ड्रग्स उसने तो कभी सोचा न था ....गुलाबी कम्बल में लिपटा वो मासूम चेहरा याद आया और रेचल की बात। इसका नाम अमारिस है इसका मतलब होता है चाइल्ड ऑफ मून।

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10 टिप्पणियाँ

  1. मर्मस्पर्शी कहानी। मन भारी हो गया पढ कर।

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  2. Udan ji,Alok ji,Niteshji,Abhishek ji aap sabhi ka bahut bahut dhnyavad.
    rachana

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  3. Dil ko choo gai kahani. badhai rachna ji.
    amita

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  4. दिल को झकझोर देने वाली मनोवैज्ञानिक कहानी ! भीतर तक दहला गई ।इंसान की कितनी पर्ते होती हैं , हम पूरी तरह नहीं समझ पाते हैं। रचना श्रीवास्तव जितनी दक्ष कविता के क्षेत्र में है , उतना ही नपा तुला लघुकथा और कहानी में भी लिखती है । हार्दिक बधाई रचना जी !

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  5. Amita ji Himanshu ji aur Jaya ji kahani pasand aai aap sabhi ka dhyavad.
    rachana

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  6. आह!!!!!!!!!!!!
    नयन की कोर फिर से भीगी हुई
    मीत तुमने ये जाने क्या कर दिया,.
    पीर के गाँव में फिर से हलचल हुई
    लाके सागर वही नयन में भर दिया | ....गीता पंडित...

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