आज सुबह सुबह मैं इज्ज्त के गमले में अपनी प्रतिष्ठा के गुलाब ठोक रहा था की एक सज्जन आ धमके| उनके पीछे एक सज्जन और आये| फिर सज्जनों पर सज्जन आते गये और मैं सज्जनों से घिर गया। हाँलाकि आगे चलकर मुझे सज्जन शव्द को पीला कार्ड दिखान पड़ा और अंत में सज्जन के बदले दुर्जन शब्द का प्रत्यारोपण करना पड़ा|
चूंकि मैं खुद ही शब्द रोग विशेषग्य हूं मुझे इस तरह के आरोपण और प्रत्यारोपण मे कहीं कठिनाई नहीं होती|मैने एक दरी पर सबको आदर सहित बिठाया,उनका परिचय पूंछा एवं एक साथ धावा बोलने का कारण भी| वे अपना अपना परिचय मेरी ओर झोंकने लगे|
पहिला बोला "मैं लल्लू पंजू सह्कारिता संघ का अध्यक्ष हूं|"
दूसरे ने बड़ी गर्म जोशी से हाथ मिलाया "मैं चोर उच्चका महासंघ का महा सचिव हूं|"उसने अपना परिचय मेरे मुंह को हवन कुंड समझकर आहुति की तरह झोंक दिया|
तीसरा डाकू लुटेरा मंडल का महामंत्री,चौथा फड़तूस लफंटूस एंड कंपनी का मेनेजिंग डायरेक्टर था,पाँचवां लुच्चा लफंगा और बेईमान ब्रदर्स का सेक्रेटरी था| छटवां डंडा ठोक माथा फोड़ एंड संस का चीफ कंट्रोलर था। उल्लू के पट्ठे एंड ब्रदर्स रगड़ू झगड़ू एंड कंपनी, गिरह कट उठाईगीर अपार्टमेंट, अवसरवादी महास्वार्थी मित्र मंडली, नकचड़ी महिला मंडल, नाश मिटी युवा समिति दिमाग खाऊ भेजा चाटू क्लब, फोकट फंड अधबने संघ, इतने सारे संघों के महा सचिवों एवं महामंत्रियों सभी ने अपना परिचय दिया और मुझे घूरकर एक तरफ बैठ गये| मैं सकपका गया सभी गोलमाल और घुटाला संघों की धुरंधर हस्तियां हमारे गेटवे आफ गरीब हाउस के सामने जमा थीं| मैंने सहमी नजरों से उनकी ओर देखा जैसे बकरी कसाई को देखती है|
महिला मंडल की सदस्यायें झाड़ू बेलन से लेस थीं| चोर उच्चका संघ वाले आठ इंच लंबे चाकू भांज रहे थे| डाकू लुटेरा संघ वाले थ्री नाट थ्री की बंदूकें और कारतूस की पेटी टांगे थे| दिमाग खाऊ भेजा चाटू क्लब के लोग बकवास के बंडल बाँधकर लाये थे| मैं उनके आने का अभिप्राय नहींसमझ सका| मैने उनसे करबद्ध निवेदन किया "हे भारत वीरो धरती पुत्रो युग पुरुषो यह गरीब लेखक आपकी क्या सेवा कर सकता है| चटपट आदेश करें कि मैं आपके लिये किस प्रकार का बलिदान दूं|"
सभी ब्रदर्स एवं सिस्टर्स् एक स्वर में बोल उठे"अबे लेखक के बच्चे क्या तेरी शामत आ गई है,क्या तुझे असार संसार प्यारा नहीं है जो इसे छोड़कर कूच करना चाहता है? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का तूने किस तरह फायदा उठाया है| जिन दिग्गज हस्तियों से देश की चौखट पर स्थायित्व के दरवाजे खड़े हैं तू उन्हीं की दॆहरी खोद रहा है| श्रद्धा के जिन पेड़ों में हमने आदर का पानी देकर हरियाली बनाई है तू उन्हीं की जड़ें काट रहा है| चोर उच्चकों से देश चल रहा है और डाकू से प्रतिष्टा की नाक उठी है| डंडा ठोक माथा फोड़ वाले न हों तो देश की रक्षा कौन करेगा?आंतरिक अमन चैन के लिये लुच्चा लफंगा बेईमान ब्रदर्स क्या कुछ नहीं करते फड़तूस लफंटूस एंड कंपनी वाले हड़तालों,धरनों और आंदोलनों की शोभा बढ़ाते हैं| यदि लोग अपना सहयोग देना बंद कर दें तो बेचारे पक्षी और विपक्षी क्या करेंगे? उल्लू के पट्ठे एंड ब्रदर्स के बल ही तो रात के उल्लू दिन को बोल पाते हैं| रगड़ू झगड़ू एंड कंपनी देश की सरकारी पूंजी बढ़ाने में किस तरह हेल्प कर रही है इसका तुम्हें भान है?नहीं है न, कुछ भी लिखता रहता। क्यों जलता है चोर डाकू उठाईगीरों से?
तू लेखक जरूर है पर तुझे समय के अनुसार व्यक्तियों के सही मूल्यांकन करने की क्षमता नहीं है| घर पर बैठकर कुछ भी कलम झाड़ता रहता है जरा घर से बाहर निकलकर देखो, दुनियाँ देखो दुनियाँदारी देखो तभी मालूम पड़ेगा कि हम प्रदेश देश और विदेश के लिये क्या कर रहे हैं| तुझे अमेरिका फ्रांस से बराबरी नहीं करना क्या?जापान की तरक्की का राज तुझे क्या मालूम| केवल आदर्श सिद्धांत ईमान सत्य और अहिंसा की बातें करता है| हम जैसे दीर्घ जीवी सिद्धहस्त संघों की आलोचना करता है|"
दिमाग खाऊ भेजाचाटू क्लब वाले ज्यादा उत्तॆजित हो रहे थे "यदि हम दिमाग खाना बंद कर दें तो देश के सारे मूर्ख क्या करेंगे" वे बड़ी जोर से चिल्ला रहे थे थे|
गोलमाल और घुटाला संघ वालों को अपनी दुनियां गोल नज़र आने लगी थी मेरी भंडाफोड़ रचनायें पढ़कर वे मुझे ही दुनियां से गोल करने के इरादे से आये थे| नाशमिटी युवा समिति के लोग मेरा पत्ता साफ करना चाहते थे|अवसरवादी महास्वार्थी मित्र मंडली में मैं अपने परममित्रों और लंगोटिया यारों को देखकर दंग रह गया| कल तक जो मेरे चाटुकार थे आज वे ही मुझे मारने को तैयार थे| नकचढ़ी महिला मंडल में मेरी प्रथम पत्नी भी शामिल थीं झाड़ू बेलन जैसे दिव्यास्त्र उनके कर कमलों में शोभायमान थे| उनकी आंख के अंगारों से ही वैग्यानिकों ने अग्नि का निर्माण किया होगा मुझे इस बात का पक्का विश्वास हो गया|
मुझे अपनी दुनिया लुटती नज़र आई |लोगों ने मुझे सलमान रश्दी बना दिया था,हालाकि मैंने कोई भी सेटेनिक वर्सेस नहीं लिखा था| चक्रव्यूह में अभिमन्यु की तरह अकेला फस गया,रजिया फंस गई गुंडों में| मेरी हालत खराब हो रही थी, न भागने का साधन था न भगाने ताकत| उनकी सामूहिक घूरन शक्ति के डर से मैंने कातर होकर हाथ ऊंचे कर दिये और अपनी तकदीर के पुलंदे दिमागखाऊ भेजा चाटू क्लब वालों के कदमों में धर दिये क्योंकि वे ही मुझे सबसे ज्यादा समझदार अपनी बिरादरी वाले दिखे| मैं जात बाहर होने को तैयार हो गया और जात में वापस मिलने के लिये पंगत देने भी तैयार हो गया| सीधा सादा आदमी श्राप ग्रहण कर श्राप मुक्ति का मार्ग भी मैंने सबके सामने रख दिया| पर वे इतने गिरे हुये तो थे नही,नहींमाने| एकमत होकर सबने एक ही शर्त रखी कि उनके द्वारा आयोजित एक वृहत हुड़दंग सम्मेलन में मैं अध्यक्ष पद स्वीकार करूं तभी वे मुझे छोड़ेगे|"
अध्यक्ष पद स्वीकार करो वर्ना तैयार हो जाओ परिणाम भुगतने के लिये"सभी चिल्लाने लगे| मरता क्या न करता,तैयार हो गया| जान बची और लाखों पाये नियम और सिद्धांत गंवाये| वैसे वे धमका थोड़े रहे थे वे तो अपने कार्यक्रम के लिये बड़े आदर के साथ आमंत्रित करने आये थे| समय को भाँपते हुये आग्रह टालना किसी भी तरह ठीक नहीं समझा और अब जा रहा हूं अध्यक्ष बनने प्लीज़ मेरा ख्याल रखना|
3 टिप्पणियाँ
अध्यक्ष बनने की बधाई :) जल्दी ही बने रहने के दाव पेंच भी सीख जायेंगे।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
प्रभुदयाल
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.