हाथ में टेनिस का रैकेट घुमाते, दरवाजे के पास पहुँच कर छोटे बेटे ने आवाज लगाई, "मम्मी अगर आज फाइनल मैच जीत गया तो रात पार्टी होगी और फिर ११ के बाद ही लौटूंगा|"
बेडरूम से चाय का प्याला और सवेरे के नाश्ते की प्लेट लिए बहू ने कीचन में आकर प्याला और प्लेट रखते धीरे से कहा, " मम्मी, आज टीम मीटिंग है, लौटते देरी होगी|"
चमकते जूतों को पैरों में ससकाते, बड़े बेटे ने कहा, "मैं जा रहा हूँ माँ, धोबी को नीला वाला टी शर्ट दे देना|"
पति के पास चाय और नाश्ता ले कर पहुँचने पर, पति से जब कहा - आज शाम मेरा आयुर्वेदिक काढा ले आना, तब पति ने चाय पीनी की सुरसुराहट रोकते कहा, "देर होगी, कल लायेंगे, कल सन्डे है ना|"
एकाएक मन की थकान ने आहं भरी, "मेरे जीवन में सन्डे कहाँ?"
3 टिप्पणियाँ
सच है...औरतो की जिन्दगी मे संडे कहाँ....अच्छी लघुकथा...बधाई
जवाब देंहटाएंji sahi likha hai kahan hai chhutti ?
जवाब देंहटाएंbas kaam
achchhi laghu katha
rachana
haan...saunday kahaan...
जवाब देंहटाएंsahi ...aabhar..
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