रखा जीभ पर मीठा मीठा स्वाद अभी तक
मां के हाथों बनी चाय है याद अभी तक|
खुली आंख से भले न उससे मिल पाता हूं
सपने में होते रहते संवाद अभी तक|
"राजा बेटा उठ जाओ हो गया सबेरा"
कानों में गूंजा करती आवाज अभी तक|
कितने शेर दिलेर बहादुर देखे हमने
नहीं मिला है मां जैसा जांबाज़ अभी तक|
सारी मांओं से अच्छी जग में मेरी मां
होता रहता हर दिन यह अहसास अभी तक|
8 टिप्पणियाँ
aapki ghazal mein mithas ki boonde chhalak rahi hai,
जवाब देंहटाएंmaa ke liye pyar,maa ki mamta jhalak rahi hai.
bahut hi sunder kavita hai.
वाह... वाह...
जवाब देंहटाएंआपके लिये कुछ पंक्तियाँ:
मुक्तिका
माँ
संजीव 'सलिल'
*
बेटों के दिल पर है माँ का राज अभी तक.
माँ के आशिष का है सिर पर ताज अभी तक..
प्रभू दयालु हों इसी तरह हर एक बेटे पर
श्री वास्तव में माँ है, है अंदाज़ अभी तक..
बेटे जो स्वर-सरगम जीवन भर गुंजाते.
सत्य कहूँ माँ ही है उसका साज अभी तक..
बेटे के बिन माँ का कोई काम न रुकता.
माँ बिन बेटों का रुकता हर काज अभी तक..
नहीं रही माँ जैसे ही बेटा सुनता है.
बेटे के दिल पर गिरती है गाज अभी तक..
माँ गौरैया के डैने, ममता की छाया.
पा बेटे हो जाते हैं शहबाज़ अभी तक..
कोई गलती हो जाये तो आँख न उठती.
माँ से आती 'सलिल' सुतों को लाज अभी तक..
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badi yaad aati he maa teri shahar me
जवाब देंहटाएंhaat jab ghar me bani khurmi aajaye..
thanks....
bahut hi acchi rachna hai...
L.K Astrologer:
जवाब देंहटाएंsub dhoondte aakash mein
per dil samander mein maa,
maa kabhi na chode saath
rahti ander mein maa.
shri wastav ji,kitni unchai se samjhaya hai aapne.
माँ तो केवल माँ होती है उस ममता के क्या कहने
जवाब देंहटाएंमिला निरन्तर स्नेह सुमन को इसीलिए आबाद अभीतक
सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
"राजा बेटा उठ जाओ हो गया सबेरा"
जवाब देंहटाएंकानों में गूंजा करती आवाज अभी तक|
kya likhun shabd nahi hai
bahut sunder
rachana
अच्छी गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंसब मित्रों को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.