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आखो देश गेल्यो(दीवाना) [क्रिकेट पर एक आंचलिक रचना] - राजेश एस . भंडारी "बाबु"

विश्वशक्ति हे भारत वर्ष दुनिया ने मनिल्यो
हिरा जैसा प्यारा खिलाडी कई गुरु कई चेल्यो
एसो जोश बनयो रियो तो हर मैदान जितिल्यो
एक दड़ी ने तिन डंडा में आखो देश गेल्यो

एक दड़ी ने तिन डंडा में आखो देश गेल्यो
पि एम ने भी सगलो काम ताक में मेल्यो
छाती पे भाटो धरी के गिलानी के झेल्यो
एक दड़ी ने तिन डंडा में आखो देश गेल्यो

अम्बानी ने भी पब्लिसिटी को दंड पेल्यो
सोनिया ने भी मोका में फायदों देखिल्यो
सच तो हमारे विश्व कप को तमगो मिल्यो
एक दड़ी ने तिन डंडा में आखो देश गेल्यो

छोरा छोरी ने किरकेट का रंग में मुंडो रंगिल्यो
आतंकवाद नासूर बनी के आखा देश में फेल्यो
कामकाज छोड़के अखो देश किरकेट में रेल्यो
एक दड़ी ने तिन डंडा में आखो देश गेल्यो

हमने भी किरकेट के युद्ध जैसो खेल्यो
जनता ने माहोल बनायो जैसे युद्ध ठेल्यो
खेल खेल में एक हुआ झगड़ो एकाड़ी मेल्यो
एक दड़ी ने तिन डंडा में आखो देश गेल्यो
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राजेश एस . भंडारी "बाबु"
१०४, महावीर नगर, इंदौर
फ़ोन ९००९५०२७३४

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