आप का आना भी इक
हवा का झोखा था
आप का जाना भी इक
हवा का झोखा था
मुझे महसूस यह होता है
आप को देखना भी इक धोखा था।
ज़िन्दगी कितनी छोटी होती है
यह आज जाकर जाना
कि बिछुड़ के मिलना और
मिलकर बिछुड़ना भी इक धोखा था।
क्या सुचमुच आप आये थे
या वह सूरत से यह सूरत मिलती थी?
आप खुद आकर कुछ कह भी गए
तो भी मै सुमझूंगी वो धोखा था।
वो मीठी मुस्कान वो प्यारी आवाज़
जो बचपन मे मैने सूनी थी
आज पतझड़ के इस मोड़ पर
समझती हूँ कि वह बचपन भी धोखा था।
हवा का झोखा था
आप का जाना भी इक
हवा का झोखा था
मुझे महसूस यह होता है
आप को देखना भी इक धोखा था।
ज़िन्दगी कितनी छोटी होती है
यह आज जाकर जाना
कि बिछुड़ के मिलना और
मिलकर बिछुड़ना भी इक धोखा था।
क्या सुचमुच आप आये थे
या वह सूरत से यह सूरत मिलती थी?
आप खुद आकर कुछ कह भी गए
तो भी मै सुमझूंगी वो धोखा था।
वो मीठी मुस्कान वो प्यारी आवाज़
जो बचपन मे मैने सूनी थी
आज पतझड़ के इस मोड़ पर
समझती हूँ कि वह बचपन भी धोखा था।
nice
उत्तर देंहटाएं-Alok Kataria
अच्छा कार्य करते हुए !हवे अ गुड डे ! मेरे ब्लॉग पर आये !
उत्तर देंहटाएंMusic Bol
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Shayari Dil Se
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कोमल भावों भरी रचना।
उत्तर देंहटाएंअच्छी कविता..बधाई
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