आप का आना भी इक
हवा का झोखा था
आप का जाना भी इक
हवा का झोखा था
मुझे महसूस यह होता है
आप को देखना भी इक धोखा था।
ज़िन्दगी कितनी छोटी होती है
यह आज जाकर जाना
कि बिछुड़ के मिलना और
मिलकर बिछुड़ना भी इक धोखा था।
क्या सुचमुच आप आये थे
या वह सूरत से यह सूरत मिलती थी?
आप खुद आकर कुछ कह भी गए
तो भी मै सुमझूंगी वो धोखा था।
वो मीठी मुस्कान वो प्यारी आवाज़
जो बचपन मे मैने सूनी थी
आज पतझड़ के इस मोड़ पर
समझती हूँ कि वह बचपन भी धोखा था।
हवा का झोखा था
आप का जाना भी इक
हवा का झोखा था
मुझे महसूस यह होता है
आप को देखना भी इक धोखा था।
ज़िन्दगी कितनी छोटी होती है
यह आज जाकर जाना
कि बिछुड़ के मिलना और
मिलकर बिछुड़ना भी इक धोखा था।
क्या सुचमुच आप आये थे
या वह सूरत से यह सूरत मिलती थी?
आप खुद आकर कुछ कह भी गए
तो भी मै सुमझूंगी वो धोखा था।
वो मीठी मुस्कान वो प्यारी आवाज़
जो बचपन मे मैने सूनी थी
आज पतझड़ के इस मोड़ पर
समझती हूँ कि वह बचपन भी धोखा था।
4 टिप्पणियां
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
अच्छा कार्य करते हुए !हवे अ गुड डे ! मेरे ब्लॉग पर आये !
जवाब देंहटाएंMusic Bol
Lyrics Mantra
Shayari Dil Se
Latest News About Tech
कोमल भावों भरी रचना।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता..बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.