एक दिन चाचा गधेराम ने
देखा सुंदर सपना
लेकर नभ में घूम रहे थे
उड़न खटोला अपना|
खच्चर दादा बैठ बगल में
गप्पें हांक रहे थे
रगड़ रगड़ तंबाकू चूना
गुटका फांक रहे थे|
चंद्र लोक की तरफ यान
सरसर बढ़ता जाता था
अगल बगल में तारों का
झुरमुट मिलता जाता था|
हाय हेलो करते थे दोनों
तारे हाथ मिलाते
चंदा मामा स्वागत करते
हंसते और मुस्काते|
जैसे उड़न खटोला उतरा
चंदा की धरती पर
कूद पड़े दोनों धरती पर
खुशियों से चिल्लाकर|
पर जैसे ही कदम बढ़ाये
दोनों ने कुछ आगे
देख सामने खड़े शेर को
डरकर दोनों भागे|
नींद खुल गई गधेराम की
पड़ा पीठ पर डंडा
खड़ा हुआ था लेकर डंडा
घर मालिक मुस्तंडा|
कल्पित और कपॊल कल्पना
होती है दुखदाई
सच्चे जीवन कड़े परिश्रम
में ही है अच्छाई
देखा सुंदर सपना
लेकर नभ में घूम रहे थे
उड़न खटोला अपना|
खच्चर दादा बैठ बगल में
गप्पें हांक रहे थे
रगड़ रगड़ तंबाकू चूना
गुटका फांक रहे थे|
चंद्र लोक की तरफ यान
सरसर बढ़ता जाता था
अगल बगल में तारों का
झुरमुट मिलता जाता था|
हाय हेलो करते थे दोनों
तारे हाथ मिलाते
चंदा मामा स्वागत करते
हंसते और मुस्काते|
जैसे उड़न खटोला उतरा
चंदा की धरती पर
कूद पड़े दोनों धरती पर
खुशियों से चिल्लाकर|
पर जैसे ही कदम बढ़ाये
दोनों ने कुछ आगे
देख सामने खड़े शेर को
डरकर दोनों भागे|
नींद खुल गई गधेराम की
पड़ा पीठ पर डंडा
खड़ा हुआ था लेकर डंडा
घर मालिक मुस्तंडा|
कल्पित और कपॊल कल्पना
होती है दुखदाई
सच्चे जीवन कड़े परिश्रम
में ही है अच्छाई
5 टिप्पणियाँ
कल्पित और कपॊल कल्पना
जवाब देंहटाएंहोती है दुखदाई
सच्चे जीवन कड़े परिश्रम
में ही है अच्छाई
kavita ke madhyam se achchhi baat kahi aapne
sunder kavita
rachana
well written shilpi ji..:)
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता....बधाई
जवाब देंहटाएंA good poem for childeren
जवाब देंहटाएंAwdhesh Tiwari
नींद खुल गई गधेराम की
जवाब देंहटाएंपड़ा पीठ पर डंडा
खड़ा हुआ था लेकर डंडा
घर मालिक मुस्तंडा| Sachchai yahi hai hawa me udane waalo ke liye Poonam Bhalavi
आपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.