प्यारे बच्चों,
"बाल-शिल्पी" पर आज आपके डॉ. मो. अरशद खान अंकल आपको "अपनी धरोहर" के अंतर्गत हिंदी के पहले कवि माने जाने वाले पं श्रीधर पाठक से परिचित करायेंगे। यह अंक कुछ विलम्ब से प्रस्तुत हुआ क्योंकि आपकी ई-पत्रिका में कुछ तकनीकी परिवर्तन किये जा रहे थे, अत: क्षमा। तो आनंद उठाईये इस अंक का और अपनी टिप्पणी से हमें बतायें कि यह अंक आपको कैसा लगा।
- साहित्य शिल्पी
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श्रीधर पाठक का जन्म 11 जनवरी 1960 को आगरा (उ0प्र0) जनपद के जोंधरी नामक गांव में हुआ था। हिंदी साहित्य का इतिहास उन्हें खड़ी बोली के उन्नायक और स्वच्छंदतावादी कवि के रूप में याद करता है। श्रीधर पाठक वह पहले कवि थे जिन्होंने बच्चों के लिए अलग से लेखन की जरूरत महसूस की। उनके 'मनोविनोद नामक काव्य-संग्रह में बच्चों के लिए पहली बार अलग से कविताएं संकलित की गर्इं। आलोचकों के अनुसार पं0 श्रीधर पाठक ही हिंदी के पहले बाल-गीतकार हैं। आइए हम भी उनकी कुछ कविताओं का आनंद उठाते हैं-
मैना
सुन-सुन री प्यारी ओ मैना,
जरा सुना तो मीठे बैना।काले पर, काले हैं डैना,
पीली चोंच, कंटीले नैना।काली कोयल तेरी मैना,
यधपि तेरी तरह पढ़ै ना।पर्वत से तू पकड़ी आर्इ,
जगह बंद पिजड़े में पार्इ।बानी विविध भांति की बोले,
चंचल पग पिंजड़े में डोले।उड़ जाने की राह न पावै,
अचरज में आकर घबरावै।देल छे आए
बाबा आज देल छे आए,
चिज्जी-पिज्जी कुछ न लाए।बाबा, क्यों नहीं चिज्जी लाए,
इतनी देल छे क्यों आए ?कां है मेला बला खिलौना,
कलाकंद लडडू का दोना ?
चूं-चूं गाने वाली चिलिया,चीं-चीं कलने वाली गुलिया ?
चावल खाने वाली चुइया,
चुनिया, मुनिया, मुन्ना भैया ?कां मेले मुन्ने की मैया ?
बाबा तुम औ कां से आए,
आं-आं चिज्जी क्यों न लाए ?
तीतर
लड़को, इस झाड़ी के भीतर,
छिपा हुआ है जोड़ा तीतर।फिरते थे यह अभी यहीं पर,
चारा चुगते हुए जमीं पर।
एक तीतरी है इक तीतर,हमें देखकर भागे भीतर।
आओ इनको जरा डराकर ,
ढेला मार निकालें बाहर।यह देखो वह दोनो भागे,
खड़े रहो चुप, बढ़ो न आगे।
अब सुन लो इनकी गिटकारी,
एक अनोखे ढंग की प्यारी।तीइत्तड़- तीइत्तड़- तीइत्तड़- तीइत्तड़
नाम इसी से इनका तीतर।
5 टिप्पणियाँ
अच्छा आलेख...बधाई
जवाब देंहटाएंलेख अच्छा है बधाई
जवाब देंहटाएंअशोक कुमार शुक्ला
ye baalgeet padhakar man aanandit ho gaya (maaf kijiyega abhi hindi me likh nahi pa rahi hu)...chahati hu bachho ke liye inaka podcast banana ...anumati mil sakati hai kya ?
जवाब देंहटाएंश्रीधर पाठक का जन्म वर्ष गलत है।1960 नहीं हो सकता।
जवाब देंहटाएंश्रीधर पाठक का जन्म वर्ष गलत है।1960 नहीं हो सकता।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.