प्यारे बच्चों,
"बाल-शिल्पी" पर आज आपके डॉ. मो. अरशद खान अंकल आपको "फुलवारी" के अंतर्गत रमेशचंद पंत अंकल की कविता " नानी जी" पढवा रहे हैं। तो आनंद उठाईये इस अंक का और अपनी टिप्पणी से हमें बतायें कि यह अंक आपको कैसा लगा।
- साहित्य शिल्पी
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दूर गांव में रहती अपनी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।राजा-रानी, सूरज-चंदा
जगमग तारावलियों की,इंद्रधनुष से पंख उगाए
झिलमिल आती परियों की।
हैं किस्सों की भरी पिटारी नानी जी,
याद जिन्हें हैं ढेरों कथा-कहानी जी।नंदन वन, अदभुत पशु-पक्षी
मोहक फूल तितलियों की,बादल, धूप, परी, सिमसिम की
सागर नदी मछलियों की।
कब आएंगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।-------------
रमेशचंद पंत, अल्मोड़ा, उत्तराखंड)
5 टिप्पणियाँ
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
नंदन वन, अदभुत पशु-पक्षी
जवाब देंहटाएंमोहक फूल तितलियों की,
बादल, धूप, परी, सिमसिम की
सागर नदी मछलियों की।
कब आएंगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।
मनमोहक रचना।
बचपन में दादी-नानी से कहानियाँ सुनने की याद ताजा हो गई.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति!
कब आएंगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी,
जवाब देंहटाएंकौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।
मनमोहक प्रस्तुति
अच्छी प्रस्तुति...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.