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नानी जी [फुलवारी] - रमेशचंद पंत {बाल शिल्पी अंक 17} प्रस्तुति - डॉ. मो. अरशद खान


प्यारे बच्चों,


"बाल-शिल्पी" पर आज आपके डॉ. मो. अरशद खान अंकल आपको "फुलवारी" के अंतर्गत रमेशचंद पंत अंकल की कविता " नानी जी" पढवा रहे हैं। तो आनंद उठाईये इस अंक का और अपनी टिप्पणी से हमें बतायें कि यह अंक आपको कैसा लगा।

- साहित्य शिल्पी
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दूर गांव में रहती अपनी नानी जी, 
कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।

राजा-रानी, सूरज-चंदा
जगमग तारावलियों की,
इंद्रधनुष से पंख उगाए
झिलमिल आती परियों की।

हैं किस्सों की भरी पिटारी नानी जी,
याद जिन्हें हैं ढेरों कथा-कहानी जी।

नंदन वन, अदभुत पशु-पक्षी
मोहक फूल तितलियों की,
बादल, धूप, परी, सिमसिम की
सागर नदी मछलियों की।

कब आएंगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी,
कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।

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रमेशचंद पंत, अल्मोड़ा, उत्तराखंड)

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5 टिप्पणियाँ

  1. नंदन वन, अदभुत पशु-पक्षी
    मोहक फूल तितलियों की,
    बादल, धूप, परी, सिमसिम की
    सागर नदी मछलियों की।

    कब आएंगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी,
    कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।

    मनमोहक रचना।

    जवाब देंहटाएं
  2. बचपन में दादी-नानी से कहानियाँ सुनने की याद ताजा हो गई.
    सुंदर प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  3. कब आएंगी हमें सुनाने बातें सारी नानी जी,
    कौन सुनाए मोहक कथा-कहानी जी।

    मनमोहक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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