अपने आगाज़ पे काबू रखिये
अपने अंदाज़ पे काबू रखिये
लोग बनते हैं बिगड़ते हैं सिर्फ बातो से
अपने अल्फाज़ पे काबू रखिये
कल पे होगी जिसकी परछाई जरूर
अपने उस आज पे काबू रखिये
खुद फरोशी के इस ज़माने में साहिब
वफ़ा के अपने मिजाज़ पे काबू रखिये
छूट जाता है बहुत कुछ अक्सर मुकाम से पहले
जिन्दगी में अपने आमाज़ पे काबू रखिये
तेरी ख़ुशी के इत्माम का यही सबब होगा
हो सके तो दिल के आज़ पे काबू रखिये
तू फंसा है हाथ और हालात के दरमियाँ
यक़ीनन इनके ऐराज़ पे काबू रखिये
शब्दार्थ -आमाज़ -लक्ष्य ,इत्माम -सार ,आज़-घमंड ,ऐराज़ -वृद्धि
अपने अंदाज़ पे काबू रखिये
लोग बनते हैं बिगड़ते हैं सिर्फ बातो से
अपने अल्फाज़ पे काबू रखिये
कल पे होगी जिसकी परछाई जरूर
अपने उस आज पे काबू रखिये
खुद फरोशी के इस ज़माने में साहिब
वफ़ा के अपने मिजाज़ पे काबू रखिये
छूट जाता है बहुत कुछ अक्सर मुकाम से पहले
जिन्दगी में अपने आमाज़ पे काबू रखिये
तेरी ख़ुशी के इत्माम का यही सबब होगा
हो सके तो दिल के आज़ पे काबू रखिये
तू फंसा है हाथ और हालात के दरमियाँ
यक़ीनन इनके ऐराज़ पे काबू रखिये
शब्दार्थ -आमाज़ -लक्ष्य ,इत्माम -सार ,आज़-घमंड ,ऐराज़ -वृद्धि
5 टिप्पणियाँ
achhee gazal, arth purn.
जवाब देंहटाएंAvaneesh
Mumbai
sunder bhav badhiya gazal.
जवाब देंहटाएंबहुत कलात्मक पंक्तियां वैशाली जी - एक बेहतरीन गज़ल - वाह क्या बात है? यूँ ही त्वरित रूप से मेरे माथे में आयी ये दो पंक्तियाँ पेश है -
जवाब देंहटाएंकितनों को गद्दी से उतारा है जो सुमन
कीमत-ए-प्याज पे काबू रखिये
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut hii sundar gazal. badhaaii.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल पर मेरी शुभकामनाये स्वीकाए....
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.