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बदला मनुष्य [मूल बांगला कविता - श्री मलय रॉय चौधरी] [हिन्दी अनुवाद - दिवाकर ए पी पाल]

यह रचना श्री मलय रॉय चौधरी जी की है, जिसका अनुवाद किया है दिवाकर ए पी पाल नें। श्री मलय रॉय चौधरी प्रसिद्ध बंगाली कवि एवं उपन्यासकार हैं जिन्होंने १९६० के दशक में "Hungryalist" आन्दोलन की स्थापना की है। इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी विकीपीडिया के इस लिंक पर उपलब्ध है - http://en.wikipedia.org/wiki/Malay_Roy_Choudhury#Important_Literary_Works
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बदला मनुष्य

खतित; धर्म-च्युत:
और ज़िहाद को मुखातिब.
राजश्री-हीन, एक सम्राट
पतित स्त्रियाँ- हरमगामी.
नादिर शाह से तालीमशुदा
तलवार को चूम, जंग को तैयार
हवा पर सवार घोडी;
मशालयुक्त मैं घुडसवार.
टूटे-बिखरे जंगी शामियानों की तरफ़
बढता हुआ मैं.
धू-धू जलते नगर
के दरमियान;
एक नंगा पुजारी-
शिवलिंग के साथ
फ़रार..

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5 टिप्पणियाँ

  1. मूल कविता भी प्रस्तुत की जानी चाहिये थी।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रिय अनिरुद्ध: मूल कविता का अंग्रेज़ी अनुवाद मलय दा के ब्लॉग पर उपलब्ध है.
    http://poetmalay.blogspot.com/2008/05/poems.html
    (title: Counter-Man). इसके बंगाली मूल के लिये कृपया Graffiti kolkata chapter की वेब-साईट पर ढूँढें..

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद दिवाकर जी।

    जवाब देंहटाएं

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