साख को अपनी कभी नीचा नहीं करते
दोस्त , अपने आपको सस्ता नहीं करते
इल्म है हर चीज़ का माना तुम्हे लेकिन
इल्म वाले इल्म का दावा नहीं करते
बेखबर हो इस कदर अपनी उदासी से
लगता है , तुम आइना देखा नहीं करते
सबको ही नीचा दिखाना आपका हर रोज़
आप जो ये करते हैं अच्छा नहीं लगता
कोसना ही है तो अपने बच्चों को कोसो
औरों के बच्चों को ही कोसा नहीं करते
सोचने की बात को सोचो हज़ारों बार
बेतुकी हर बात को सोचा नहीं करते
माना , हमने " प्राण " दुख देते हैं बहुतेरे
झंझटों से जग के दिल छोटा नहीं करते
19 टिप्पणियाँ
बहुत दिनों बाद प्राण जी साहित्य शिल्पी पर नज़र आये। बहुत अच्छी ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबेखबर हो इस कदर अपनी उदासी से
जवाब देंहटाएंलगता है , तुम आइना देखा नहीं करतेकोसना ही है तो अपने बच्चों को कोसो
औरों के बच्चों को ही कोसा नहीं करते
सोचने की बात को सोचो हज़ारों बार
बेतुकी हर बात को सोचा नहीं करते
माना , हमने " प्राण " दुख देते हैं बहुतेरे
झंझटों से जग के दिल छोटा नहीं करते
हर शेर ज़िन्दगी की सच्चाइयों से रु-ब-रु करवा रहा है॥………गज़ब की गज़ल है…………आभार पढवाने के लिये।
उम्दा ग़ज़ल, लेकिन प्राण जी के मूल रुतबे से कमतर।
जवाब देंहटाएंबेखबर हो इस कदर अपनी उदासी से
जवाब देंहटाएंलगता है , तुम आइना देखा नहीं करते
बहुत उम्दा शेर।
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
वाह .. प्राण साहब का हर शेर इस ग़ज़ल में सामाजिक सीख देता हुवा है ... गहरा दर्शन है हर शेर में ... कोसना ही है ... या सोचने की बात को .... कितनी गहरी बात कह गये हैं सीधे शब्दों में .... बहुत ही लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद ……आभार
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा...
जवाब देंहटाएंआद. प्राण साहब, हर शेर में पैग़ाम दिया है.
pran sahab ka swagat.
जवाब देंहटाएंसोचने की बात को सोचो हज़ारों बार
जवाब देंहटाएंबेतुकी हर बात को सोचा नहीं करते
प्राण साहब की ग़ज़ल हो और उसमें से जीवन जीने के नए आयाम न मिलें ऐसा हो ही नहीं सकता...हर ग़ज़ल हमें प्रेरणा देती है...सुखी रहने का रास्ता दिखलाती है...मानवीय बुराइयों पर से पर्दा हटाती है...ये ग़ज़ल भी उनकी खूबसूरत ग़ज़लों की श्रृंखला का ही एक हिस्सा है...इश्वर उन्हें हमेशा स्वस्थ रखे
नीरज
सबको ही नीचा दिखाना आपका हर रोज़
जवाब देंहटाएंआप जो ये करते हैं अच्छा नहीं लगता
ये शेर इस ग़ज़ल का हिस्सा नहीं है या फिर इसे ठीक से छापा नहीं गया है...अतः ये शेर इस ग़ज़ल में खटकता है इसलिए या तो इसे हटा दें अथवा प्राण साहब से पूछ कर इसे सुधारें.
नीरज
Neeraj Goswami sahee kahte hain . kripya is
जवाब देंहटाएंsher ko yun padhiye -
SAB KO HEE NEECHA DIKHAANAA AAPKAA HAR ROZ
AAP JO YE KARTE HAIN ACHCHHA NAHIN KARTE
बहुत बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंनीरज जी न इंगित किया और हमने आपके द्वारा सुधारा वर्जन पढ़कर आनन्द लिया...बहुत सुन्दर!!!
Pran sharma ji,
जवाब देंहटाएंhar sher bahut umdaa, ye ek sher bahut khaas laga...
कोसना ही है तो अपने बच्चों को कोसो
औरों के बच्चों को ही कोसा नहीं करते
nimn sher mein shayad typing mistake hua hai. 'karte' ki jagah 'lagta' likh gaya hai...
सबको ही नीचा दिखाना आपका हर रोज़
आप जो ये करते हैं अच्छा नहीं लगता
daad sweekaaren.
SAB KO HEE NEECHA DIKHAANAA AAPKAA HAR ROZ
जवाब देंहटाएंAAP JO YE KARTE HAIN ACHCHHA NAHIN KARTE
ग़ज़ल को दो तीन बार पढ़ा, लगा कि कुछ खटकता है ..
सोचा प्राण भाई साहब से पता करूंगी | दो तीन दिन नेट पर नहीं आई |आज नीरज जी की टिप्पणी और प्राण भाई साहब के शे'र से बात समझ में आई और ग़ज़ल का पूरी तरह आन्नद लिया |
सुधा ओम ढींगरा
साख को अपनी कभी नीचा नहीं करते। जी हाँ आदरणीय प्राण साहब ने गजलों की दुनिया में अपनी साख कभी नीचा नहीं की। बहुत ही अच्छी गजल।
जवाब देंहटाएंइल्म है हर चीज़ का माना तुम्हे लेकिन
जवाब देंहटाएंइल्म वाले इल्म का दावा नहीं करते
बेखबर हो इस कदर अपनी उदासी से
लगता है , तुम आइना देखा नहीं करते
khubsurat gazal
bahut aanand aaya
badhai
rachana
अच्छी गजल पढने को मिली है....बधाई...
जवाब देंहटाएंअच्छी ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.