एक दिन छोटी मछली ने बड़ी मछली को खा लिया|मत्स्य जगत में हड़कंप मच गया|विशेष बात यह हुई की छोटी मछली ने खाने के बाद डकार तक नहीं ली|
समुद्र में लोकतंत्र है,हर बड़ी मछली छोटी मछली को खाने को स्वतंत्र है|हर बड़ा जीव छोटे जीव को बिना किसी अवरोध या इजाजत से खा सकता है,कोई कानूनी बाध्यता भी नहीं है प्रजातंत्र जो ठहरा|फिर भारतीय लोकतंत्र तो दुनियां का सबसे बड़ा लोक तंत्र है यहां डर कैसा|प्रत्येक बलवान कमजोर को अपना शिकार बना सकता है|समुद्र के संविधान में भी ऐसा ही कुछ लिखा हुआ है|किंतु जब गंगा उळ्टी बहने लगे तो आश्चर्य तो होना ही था|
समुद्रदेव ने एक जांच आयोग बिठा दिया|आखिर मालूम तो पड़े कि छोटी मछली में इतनी शक्ति कहां से आ गई|आयोग ने जांच में पाया कि छोटी मछली विदेशी थी|अमेरिका के तटवर्ती इलाके से भटककर इंडिया के क्षेत्र में आ गई थी|और जो बड़ी मछली शिकार हुई थी वह इंडियन याने कि भारतीय थी शुद्ध भारतीय|मतलब भारतीय तट के समुद्र की स्थाई निवासी थी|
मत्स्य जगत के सभ्य जीवों को जब आयोग की यह रिपोर्ट मालूम पड़ी तो सबने राहत की सांस ली|यह तो साधारण सी बात थी भारतीय संस्कृति में तो ऐसा होता ही रहता है सदियों से हो रहा है|और सब अपने अपने काम में लग गये|
7 टिप्पणियाँ
सारगर्भित लघुकथा...बधाई
जवाब देंहटाएंराजनीति पर उच्च कोटि का व्यंग्य
जवाब देंहटाएंभारतीय मानसिकता पर एक तीक्ष्ण कटाक्ष.. बहुत उम्दा..
जवाब देंहटाएंहे हे हे !!!
जवाब देंहटाएंएक तीखा और दमदार व्यंग है |
अवनीश तिवारी
मुंबई
bahut khoob vyang kiya hai aaj ki vyavastha pr
जवाब देंहटाएंbahut badhai
rachana
बहुत खूब! छोटी छोटी विदेशी मछलियों से सावधान रहने की जरूरत अब शायद बड़ी हिन्दुसतानी मछलियों को समझ में आये
जवाब देंहटाएंअशोक कुमार शुक्ला
सूचनाः
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