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5 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर है | लेकिन और आगे क्यों नहीं बढाया ?
जवाब देंहटाएंअवनीश तिवारी
मुम्बई
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंsatik prastutikaran
जवाब देंहटाएंतू है पुरानी संगिनी;
जवाब देंहटाएंमेरी कलम मुझे थाम ले,
घुटकर न रह जाए अनकही;
मेरे अपनों को पैगाम दे.
बहुत खूब किरण जी। यूँ तो पूरी रचना भावपूर्ण है सुन्दर संदेश के साथ। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
अच्छी रचना....बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.