भाई भरत कयों तुम इतना बदल गये हो
ऐसा भी कया हुआ कि इतने गुससे से छलक रहे हो|
पहले तो तुम बङे ही सनेही थे
फिर कया हुआ आज! जो तुम पलट गये हो||
थोडी सी ज़मीन थोडा सा पैसा
कया आज! इतना बडा हो गया है?
कि भाई को भाई काट अपने में पूरा हो गया हैं
पहले तो तुम बडे ही सनेही थे
फिर कया हुआ आज! जो तुम पलट गये हो||
बचपन में खेला करते थे हम साथ
स्कूल जाते हुए भी था हाथों में हाथ|
एक ही टिफिन से खाते थे खाना
और बाँटा करते थे सुख-दु:ख की घडिया भी हम साथ-साथ
मुझे आज भी याद हैं मेरे लिए लड पडता था
तुम किसी से भी
कोई कहता भला-बुरा मुझे तो
चोट लगती थी तेरे दिल को भी|
तो वो तुम्हारा दिल आज कहाँ रहता हैं?
उसी सीने में हैं! या किसी मयखाने में गिरवी पडा हैं?
आज तुझ को पैसे में ही परमेशवर दिखता हैं
यह घनघोर अँधेरा ही तुम को प्रकाश लगता हैं|
देखना ही हैं तो अनुज! अपने ज़मीर को देख
कितना मैला-कुचैला पडा हैं||
जिनहें तुम अपना दोसत कहता हैं
असलियत में वहीं तेरे दोष हैं|
लूटेरे भी वहीं हैं जिनहोंने लूट लिया तेरा प्रेम-कोष।
मेरे नयनों का दु:ख देख
तेरे ही दु:ख से भरे हैं|
हृदय मेरा रो रहा हैं न जाने कब से
ज़रा इसकी भी तो हालत देख||
ऐसा भी कया हुआ कि इतने गुससे से छलक रहे हो|
पहले तो तुम बङे ही सनेही थे
फिर कया हुआ आज! जो तुम पलट गये हो||
थोडी सी ज़मीन थोडा सा पैसा
कया आज! इतना बडा हो गया है?
कि भाई को भाई काट अपने में पूरा हो गया हैं
पहले तो तुम बडे ही सनेही थे
फिर कया हुआ आज! जो तुम पलट गये हो||
बचपन में खेला करते थे हम साथ
स्कूल जाते हुए भी था हाथों में हाथ|
एक ही टिफिन से खाते थे खाना
और बाँटा करते थे सुख-दु:ख की घडिया भी हम साथ-साथ
मुझे आज भी याद हैं मेरे लिए लड पडता था
तुम किसी से भी
कोई कहता भला-बुरा मुझे तो
चोट लगती थी तेरे दिल को भी|
तो वो तुम्हारा दिल आज कहाँ रहता हैं?
उसी सीने में हैं! या किसी मयखाने में गिरवी पडा हैं?
आज तुझ को पैसे में ही परमेशवर दिखता हैं
यह घनघोर अँधेरा ही तुम को प्रकाश लगता हैं|
देखना ही हैं तो अनुज! अपने ज़मीर को देख
कितना मैला-कुचैला पडा हैं||
जिनहें तुम अपना दोसत कहता हैं
असलियत में वहीं तेरे दोष हैं|
लूटेरे भी वहीं हैं जिनहोंने लूट लिया तेरा प्रेम-कोष।
मेरे नयनों का दु:ख देख
तेरे ही दु:ख से भरे हैं|
हृदय मेरा रो रहा हैं न जाने कब से
ज़रा इसकी भी तो हालत देख||
2 टिप्पणियाँ
bot badhiya kavita . shilp or rawaangi dono me behtareen .
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.