"बाल-शिल्पी" पर आज आपके डॉ. मो. अरशद खान अंकल आपको "फुलवारी" के अंतर्गत कमलेश भटट 'कमल अंकल की कविता "बडा मजा आता" पढवा रहे हैं। तो आनंद उठाईये इस अंक का और अपनी टिप्पणी से हमें बतायें कि यह अंक आपको कैसा लगा।
- साहित्य शिल्पी
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मन करता है किसी रात में
चुपके से उड़ जाऊं,आसमान की सैर करूं फिर
तारों के घर जाऊं।
देखूं कितना बड़ा गांव है
कितनी खेती बारी,माटी-धूल वहां भी है कुछ
या केवल चिंगारी।
चंदा के संग क्या रिश्ता है
सूरज से क्या नाता,भूले-भटके भी कोर्इ क्यों
नहीं धरा पर आता।
चांदी जैसी चमक-धमक, फिर
क्यों इतना शरमाते,रात-रात भर जागा करते
सुबह कहां सो जाते ?
कमलेश भटट 'कमल, गाजियाबाद,(उ0प्र0)
3 टिप्पणियाँ
nice post
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
अच्छी कविता..बधाई
जवाब देंहटाएंbahut badhia
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.