सवेरे से सभी टी वी चैनल बस एक ही समाचार प्रसारित कर रहे हैं। 4 जून की आधीरात के बाद दिल्ली पुलिस की अप्रत्याशित, अविश्व्सनीय एवं अमानवीय कार्यवाही के बाद बाबा रामदेव को गिरफ्तार कर लिया गया। लगभग 1 लाख के सोते हुये तरूण, युवा सहित वद्ध एवं महिला आंदोलनकारियों पर इसप्रकार की बर्बरतापूर्ण कार्यवाही संभवत: अंग्रेजों के द्वारा भी नहीं की गयी होगी। बाबा के शब्दों में आजादी के बाद यह सबसे बड़ा सरकारी जुल्म है....... इस विषय पर कुछ महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया ...

- यह पूरी तरह से संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है। - जस्टिस संतोष हेगड़े
- यह सरकार भ्रष्टतम और बेशर्म सरकार है। - अरविन्द केजरीवाल
- बाबा रामदेव ठग है। इसने सबको ठगा है।- कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह
- यह कैसा लोकतंत्र है जहांपर अर्धरात्रि को सोते हुये आन्दोलनकारिओं पर आंसूगैस के गोले और लाठीचार्ज किया जाता है।
- अविश्सनीय ... देश के लोक्तांत्रिक इतिहास को कलंकित करने वाली घटना । - नितिन गडकरी
टी वी चैनलों पर पुलिस द्वारा पण्डाल में आग लगाये जाने दृश्यों देखकर दिल्ली से सटे मेरठ में प्रदर्शनी के दौरान पण्डाल में लगी आग और तत्पश्चात सैकड़ों लोगों के जल जाने की घटना के साथ ही उत्तराखण्ड आन्दोलन के समय मुजफ्फरनगर चौराहे की घटना और महिलाओं से पुलिस के दुर्व्यवहार की घटना का स्मरण हो आया। यह सब किसी भी शान्तिप्रिय नागरिक को विचलित कर सकता है।
अब मस्तिष्क में प्रश्न उठना स्वाभाविक है ...... जब कांग्रेस के खुल्ला छोड़े हुये महासचिव जब यह कहते है कि बाबा रामदेव का आंदोलन (कालेधन के विरूद्ध) सरकार को अस्थिर करनेवाला है। क्या यह सरकार कालेधन पर ही स्थिर है... ?
पहले चार चार मंत्रियों को अनावश्यक रूप से एयरपोर्ट पर दण्डवत करने के लिये भेजना और अब पार्टी महासचिव द्वारा गालीगलौज की भाषा का व्यवहार ... कांग्रेस की बौखलाहट को उजागर करती है।
कालेधन के विषय पर सरकार का इस प्रकार का निन्दनीय और तानाशाही व्यवहार ... आखिर क्या बात है...सत्तारूढ़ द्ल को इस विषय पर इतना डर क्यों है।
कांग्रेस सरकार में रहते हुये संभवत: दो बार ही इतनी बुरी तरह बौखलायी है ......
पहली बार 1975 जून में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले से उसकी सत्ता हाथ से जाती दिखी थी।
दूसरी बार काले धन के मुद्दे पर बाबा रामदेव के आन्दोलन से ....
आखिर इस बार उसके हाथ से क्या जाता दिख रहा है ....? क्या विगत साठ से अधिक वर्षों से सर्वाधिक सत्ता में रहते हुये अनेकों विदेशी सौदों के द्वारा कमाया हुआ अनगिनत धन .. कहीं उसी काले धन का हिस्सा तो नहीं है...?
कांग्रेस सरकार में रहते हुये संभवत: दो बार ही इतनी बुरी तरह बौखलायी है ......
पहली बार 1975 जून में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले से उसकी सत्ता हाथ से जाती दिखी थी।
दूसरी बार काले धन के मुद्दे पर बाबा रामदेव के आन्दोलन से ....
आखिर इस बार उसके हाथ से क्या जाता दिख रहा है ....? क्या विगत साठ से अधिक वर्षों से सर्वाधिक सत्ता में रहते हुये अनेकों विदेशी सौदों के द्वारा कमाया हुआ अनगिनत धन .. कहीं उसी काले धन का हिस्सा तो नहीं है...?
क्या काले धन के मुद्दे पर देश एक बार फिर 1975-76 के आपातकाल की ओर बढ़ रहा है......?
2 टिप्पणियाँ
जो कुछ भी रामदेव जी के आन्दोलन के साथ किया गया उससे आपकी बात सत्य प्रतीत होती है।
जवाब देंहटाएंयह घटना भारतीय लोकतंत्र के इतिहास मे काला दिन है...
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.