कल पूरी रात मैं सोया रहा,
पर आँखों में नींद ना थी.
कल पूरी रात मैं रोता रहा,
पर आँखों में आँसू ना थे.
कल पूरी रात मैं परेशान था,
और परेशानी की कोई वजह ना थी,
आज सवेरा हुआ तो
मैं जाग रहा था, पर आँखों में नींद थी,
मैं हँस रहा था, पर आँखों में आँसू थे,
फिर भी मैं परेशान था, और परेशानी की वजह ना थी.
तब एहसास हुआ
खुशी कस्तूर है, और परेशानी कस्तूरी मृग;
खुशी चाँद है, और परेशानी चकोर,
खुशी पानी है, और परेशानी प्यास.
दोनों साथ हैं, दोनों पास हैं,
दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं,
पर दोनों का अपना नसीब है.
दोनों एक-दूसरे को खोजते रहते हैं.
मैं सोचता हूँ, अगर ये तलाश न होती
तो फिर शायद दोनों का अस्तित्व तो होता
पर चारों तरफ़ सन्नाटा होता
ज़िन्दगी तो होती, और मैं ज़िन्दा ना होता...
4 टिप्पणियाँ
मैं सोचता हूँ, अगर ये तलाश न होती
जवाब देंहटाएंतो फिर शायद दोनों का अस्तित्व तो होता
पर चारों तरफ़ सन्नाटा होता
ज़िन्दगी तो होती, और मैं ज़िन्दा ना होता...
सुन्दर अभिव्यक्ति
अच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंमैं सोचता हूँ, अगर ये तलाश न होती
जवाब देंहटाएंतो फिर शायद दोनों का अस्तित्व तो होता
पर चारों तरफ़ सन्नाटा होता
ज़िन्दगी तो होती, और मैं ज़िन्दा ना होता.
ji sahi kaha jeevan aesa hi hai
achchhi soch
rachana
sundar rachna ke liyye badhai
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.