ओढने के वास्ते गर रेशमी चादर नहीं
क्या हुआ ए दोस्तो गर मखमली बिस्तर नहीं
रहने को बँगला नहीं , कोठी नहीं तो क्या हुआ
इतना क्या कम है कि मेरे यार हम बेघर नहीं
रास आयेगी बहुत ये इक न इक दिन आपको
ज़िन्दगी है ज़िन्दगी कोई सड़ी गाजर नहीं
पल ही पल में पंख वाले पंछी तो उड़ जायेंगे
वे बिचारे क्या उड़ें जिन पंछियों के पर नहीं
यूँ तो इंसानों में रिश्ते हैं सभी सुन्दर बड़े
कोई रिश्ता माँ के रिश्ते से मगर बढ़ कर नहीं
"जी" भी कहना छोड़ दे उनको सभी के सामने
गर बुजुर्गों के लिए मन में तेरे आदर नहीं
बाँध कर सर पर कफ़न घर से चला था `प्राण` तू
चंद ईंटे रास्ते में देख कर अब डर नहीं
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10 टिप्पणियाँ
प्राण जी को जन्मदिन की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं"जी" भी कहना छोड़ दे उनको सभी के सामने
गर बुजुर्गों के लिए मन में तेरे आदर नहीं
जन्मदिन की शुभकामना। ये शिकायत भी है कि इन दिनों आप साहित्य शिल्पी पर कम नजर आ रहे हैं। हर शेर इस ग़ज़ल का बहुत अच्छा है।
जवाब देंहटाएंHappy B'day Sir
जवाब देंहटाएंAlok Kataria
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की ढेर सारी शुभ कामनाएँ...आप स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें...और हमें अपनी खूबसूरत गज़ल पढवाते रहें..
जवाब देंहटाएंपल ही पल में पंख वाले पंछी तो उड़ जायेंगे
वे बिचारे क्या उड़ें जिन पंछियों के पर नहीं
आप को जनमदिन मुबारक। इस सुन्दर ग़ज़ल के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंjanmdin ki bahut bahutu shubhkamnayen
जवाब देंहटाएंsunder gazal ke dhnyavad aur abhar
saader
rachana
प्राण जी को जनम दिन की बहुत बहुत बधाई ... बहुत लाजवाब गज़ल और कमाल के शेर ...
जवाब देंहटाएंWaah bahut Achchi gazal hai Pran sharma ji.. "जी" भी कहना छोड़ दे उनको सभी के सामने
जवाब देंहटाएंगर बुजुर्गों के लिए मन में तेरे आदर नहीं
bahut khoob sher hain sare hi
aapko janamdin par hardik shubhkamnaayen.. Deri se aane ke liye muaafi chahti hun..
"यूँ तो इंसानों में रिश्ते हैं सभी सुन्दर बड़े
जवाब देंहटाएंकोई रिश्ता माँ के रिश्ते से मगर बढ़ कर नहीं"
इस पंक्ति ने अभिभूत कर दिया. बहुत बहुत बधाई.
वाचस्पति पाण्डेय
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