अपने वतन की मिट्टी से बनी हांड़ी
हांड़ी में बनी चाय
चाय की सौंधी सौंधी खुशबु
खुशबू अपने वतन की मिट्टी की
अलग अलग संस्कृति की
जुबान की अपनेपन की तहजीब की,
मिट्टी की हांडी अब हमारे घरों से गायब हो सही है,
हमारी पहचान की तरह,
खत्म होती संस्कृति, परंपरा, जुबान की तरह,
मिट्टी की हांडियां अब टूट चूकी है,
जो बच गई हैं वो एंटीक पीस बनकर,
सजी है शोकेस में,
इस्तेमाल में नही आती,
लोहे के बर्तनों में खाते खाते,
अब हमारे दिल भी लोहे के हो गये है,
मां, बाबा, दादा दादी, नाना नानी,
सभी चेहरे गुम हो गये,
वो जिस्म, जिसमें आर्यवर्त की रुह बसा करती थी,
खुर्शीद हयात तुम यतीम हो गये,
ए मेरे वतन की मिट्टी, तुम बताओ,
कुम्हार क्या करें किधर जाये,
चाक अब किसके इशारे पर घुमे,
कि हथेली की छोटी-बड़ी उंगलीयां,
अलग-अलग खानों में बिखर गई है,
मगर कौन है जो उसे समझाएं,
कि उंगलियों का अस्तित्व हथेली के बगैर अधूरा है।
हांड़ी में बनी चाय
चाय की सौंधी सौंधी खुशबु
खुशबू अपने वतन की मिट्टी की
अलग अलग संस्कृति की
जुबान की अपनेपन की तहजीब की,
मिट्टी की हांडी अब हमारे घरों से गायब हो सही है,
हमारी पहचान की तरह,
खत्म होती संस्कृति, परंपरा, जुबान की तरह,
मिट्टी की हांडियां अब टूट चूकी है,
जो बच गई हैं वो एंटीक पीस बनकर,
सजी है शोकेस में,
इस्तेमाल में नही आती,
लोहे के बर्तनों में खाते खाते,
अब हमारे दिल भी लोहे के हो गये है,
मां, बाबा, दादा दादी, नाना नानी,
सभी चेहरे गुम हो गये,
वो जिस्म, जिसमें आर्यवर्त की रुह बसा करती थी,
खुर्शीद हयात तुम यतीम हो गये,
ए मेरे वतन की मिट्टी, तुम बताओ,
कुम्हार क्या करें किधर जाये,
चाक अब किसके इशारे पर घुमे,
कि हथेली की छोटी-बड़ी उंगलीयां,
अलग-अलग खानों में बिखर गई है,
मगर कौन है जो उसे समझाएं,
कि उंगलियों का अस्तित्व हथेली के बगैर अधूरा है।
8 टिप्पणियाँ
ए मेरे वतन की मिट्टी, तुम बताओ,
जवाब देंहटाएंकुम्हार क्या करें किधर जाये,
चाक अब किसके इशारे पर घुमे,
कि हथेली की छोटी-बड़ी उंगलीयां,
अलग-अलग खानों में बिखर गई है,
मगर कौन है जो उसे समझाएं,
कि उंगलियों का अस्तित्व हथेली के बगैर अधूरा है।
बडी ही प्रभावी कविता।
अतीत और वर्तमान की कश्मकश कवि के भीतर चल रही है। मंथन में सुन्दर रचना रची गयी है।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट कविता। एसी रचनाओं के कारण साहित्य शिल्पी का स्तर बढता है। भाई खुरशीद बधाई हो।
जवाब देंहटाएंलोहे के बर्तनों में खाते खाते,
जवाब देंहटाएंअब हमारे दिल भी लोहे के हो गये है,
----यकीनन सही बात है।
I have always loved this poetry. You know it is very much close to my heart.
जवाब देंहटाएंbahut khoob aapki kavita sarhaneey hain khursheed ji kabile tareef...khoobsurat andaaz
जवाब देंहटाएंmein nihayat umda khayaalat ...
Bahut sundar
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.