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गाय- माँ [लघुकथा] - शोभा रस्तोगी शोभा


जमीदार की गोशाला में १५ गायों को गर्भाधान कराया गया | कुछ दिन पूर्व उनके दूध में कमी आ गयी थी | गर्भधारण कराने से उनका दूध भी बढ गया | दूध के कारोबार ने बढ़त पकड़ ली | 

३-४ महीने उपरांत उनका गर्भपात करवा दिया गया | जमीदार की तो चाँदी ही चाँदी | गायों के अविकसित बछड़ों से 'सोकाल्ड हाई सोसाएटी' के लिए बहुत बढ़िया नरम गोश्त की व्यवस्था कर मोटा मुनाफा कमाया गया | विदेशों  में वही गोश्त बेस्ट काफ्लेदर के रूप में सेल कर दिया गया | जमीदार व हाई प्रोफाएल सोसाएटी दोनों के हाथों में लड्डू |

गायों की आँखों के कोरों से अविरल रिसते अश्रुओं का क्या ? उनकी शारीरिक वेदना व अविकसित संतान की मृत्यु से उपजी ह्रदय की पीड़ा को किसने जाना ?

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यह लघुकथा किसी साहित्यिक 'समाजसेवी के अध्ययन पर आधारित है |
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लेखिका परिचय



नाम-   शोभा रस्तोगी  शोभा 

शिक्षा - एम. ए. [अंग्रेजी , हिंदी ], बी. एड. , शिक्षा विशारद, संगीत प्रभाकर [तबला ]            

जन्म - २६ अक्तूबर १९६८ ,  अलीगढ [उ. प्र. ]
सम्प्रति - अध्यापिका 
पता - आर. जेड. डी.-- २०८, बी, डी. डी. ए. पार्क रोड, राज नगर - || पालम कालोनी, नई दिल्ली - ७७ 
     

१९८५ से  पंजाब केसरी, राष्ट्र किंकर, हम सब साथ साथ, केपिटल रिपोर्टर,कथा संसार, सर्वोत्तम रीडर्स डाइजेस्ट, बहुजन विकास, न्यू ऑब्जर्वर पोस्ट, कथादेश, दैनिक जागरण आदिअन्य  में  पत्र, लघुकथा, कविता, कहानी, लेख आदि प्रकाशित | ' खिडकियों पर टंगे लोग ' में लघुकथाएं संकलित | ह्ससासा द्वारा अ. भा. लघुकथाकार सम्मान प्राप्त |आकाशवाणी भोपाल से लेख प्रसारित | वर्तमान में लेखन जारी|  लघुकथा.कॉम व सृजनगाथा.कॉममें प्रकाशित लघुकथाएं।      

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7 टिप्पणियाँ

  1. बडी ही मर्मस्पर्शी कहानी है शोभा जी। अलग ही दृष्टि दी है आपने इस कथानक को।

    जवाब देंहटाएं
  2. भीतर तक झकझोर गयी लघुकथा

    जवाब देंहटाएं
  3. दुष्प्रवृत्तियों का रहस्योद्-घाटन करती एक प्रभावशाली लघुकथा!
    --
    अंतिम तीन पंक्तियों की आवश्यकता नहीं थी!

    जवाब देंहटाएं

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