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मैया जनम से.........[कविता]- मोहित कोचेटा

चाहे मुझको प्यार न देना
चाहे तनिक दुलार न देना
कर पाओ तो इतना करना
जनम से पहले मार न देना
मैं बेटी हूँ
मुझको भी है
जीने का अधिकार,
मैया जनम से पहले मत मार !
बाबुल जनम से पहले मत मार.!!

मेरा दोष बताओ मुझको, क्यों बेबात सताओ मुझको,
मैं भी अंश तुम्हारा ही हूँ, तजकर फेंक न जाओ मुझको,
जीने का जो हक दे दो तुम
देख लूं ये संसार.
मैया जनम........!!

थोड़ी नज़र बदल कर देखो, संग समय के चलकर देखो,
बेटी से भी नाम चलेगा, ठहरो ज़रा संभल कर देखो,
चौथेपन की लाठी बनकर दूंगी दृढ आधार.
मैया जनम से ........!!

मैं जब आँगन में डोलूँगी, मिस्री सी बोली बोलूंगी,
सेवा करुना त्याग तपस्या के नूतन द्वारे खोलूँगी,
दोनों कुल के मान की खातिर तन- मन दूंगी वार.
मैया जनम से.........!!

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3 टिप्पणियाँ

  1. मैं बेटी हूँ
    मुझको भी है
    जीने का अधिकार,
    मैया जनम से पहले मत मार !
    बाबुल जनम से पहले मत मार.!!
    मोहित जी बेटी के दर्द को अपने दिल से जना, पहचाना है.

    जवाब देंहटाएं
  2. एक बड़ी सामयिक समस्या पर करुण रस पूरित आपकी यह प्रस्तुति वाकई काबिले तारीफ़ है तथा नृशंस समाज को द्रवित करने में पूर्ण सक्षम...बधाई एक बड़ी सामयिक समस्या पर करुण रस पूरित आपकी यह प्रस्तुति वाकई काबिले तारीफ़ है तथा नृशंस समाज को द्रवित करने में पूर्ण सक्षम...बधाई

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