प्यारे बच्चों,
"बाल-शिल्पी" पर आज आपके डॉ. मो. अरशद खान अंकल आपको "फुलवारी" के अंतर्गत शंभूलाल शर्मा 'बसंत' अंकल की कविता "मैना की शादी" पढवा रहे हैं। तो आनंद उठाईये इस अंक का और अपनी टिप्पणी से हमें बतायें कि यह अंक आपको कैसा लगा।
- साहित्य शिल्पी
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अमरार्इ तो खूब सजी है
मैना की है शादी,इसीलिए तो बगिया-बगिया
कोयल करे मुनादी।
पड़की, सुग्गा, श्यामा, बुलबुल
इक से एक चिरैया,हंस-हंस मैना से बतियाएं
संग में है गौरैया।
चूं-चूं, चीं-चीं, कूं-कूं कितने
स्वर में गाएं बढि़या,ताक-धिनाधिन, फुदक-फुदककर
नाच रही हैं चिडि़यां।
डाल-डाल हर पात सजा है
मौसम है सुखदार्इ,शादी के दिन मैना रानी
मन ही मन सकुचार्इ।
सोच रही है मैना क्या-क्या
हुर्इ शर्म से लाल,मुझे बता दे, कोर्इ-
कैसी होती है ससुराल।
शंभूलाल शर्मा 'बसंत, रायगढ़, (छत्तीसगढ़)
8 टिप्पणियाँ
शंभूलाल जी बधाई।
जवाब देंहटाएंसोच रही है मैना क्या-क्या
हुर्इ शर्म से लाल,
मुझे बता दे, कोर्इ-
कैसी होती है ससुराल।
अच्छी रचना है।
nice
जवाब देंहटाएं-Alok Kataria
बाल साइत्य के क्षेत्र में अरशद जी का काम महत्व का है। चुटीली कविता का आभार।
जवाब देंहटाएंकविता में शरारत की सोंधी सोंधी सी महक है
जवाब देंहटाएंबाल शिल्पी की सभे प्रस्तुतियाँ अच्छीलगती हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता...बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर और मनभावन बाल कविता के लिये शंभूलाल शर्मा जी को बधाई...
जवाब देंहटाएंआप सभी को आभार
जवाब देंहटाएंशंभूलाल शर्मा "वसंत"
फोन न.9300969616
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