
चारागर हो बेइमां तो हर दवा बेकार है
मोमिनों में आजकल ये भी बहस चलने लगी
ये खुदा बेकार है या वो खुदा बेकार हैलट्ठ के आगे लॅंगोटी खुल गई तो क्या कहें
मुद्दई बेकार है या मुद्दआ बेकार है
हम अजल से जी रहे हैं तीरगी के खौफ में
बोलिये मत हाल ये इस मर्तबा बेकार है
आप हों बेध्यान गर और जल गई हों रोटियॉं
तो कहो आराम से बस, ये तवा बेकार है
जिन उसूलों की किताबों ने पलट दीं सल्तनत
आजकल हैं फालतू, गो हर सफा बेकार है
30 जून, 1967 को रामपुर (उ०प्र०) में जन्मे और हाथरस में पले-बढ़े शक्ति प्रकाश वर्तमान में आगरा में रेलवे में अवर अभियंता के रूप में कार्यरत हैं।
हास्य-व्यंग्य में आपकी विशेष रूचि है। दो व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित भी करा चुके हैं। इसके अतिरिक्त कहानियाँ, कवितायें और गज़लें भी लिखते हैं।
3 टिप्पणियाँ
dusre sher ko sudhar ke sath parhen :
जवाब देंहटाएंMomino me aajkal ye bhi bahas chalne lagi
Shakti
Sundar, sashakt gazal.
जवाब देंहटाएंअच्छी गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.