वह अनुबंध ही तो था जिसके तहत
द्रौपदी जुड़ गयी थी अर्जुन से
जिसके तहत उसकी निष्ठा बंट गयी
पांच टुकड़ों में, अनचाहे ही,
वह अनुबंध ही था जिसने जोड़ दिया
राम को सीता से,
जिसके चलते समा गयी
धरती के गर्भ में जनकसुता.
अनुबंध- जिसने कर दिया सुमुखी गांधारी को
अंधे धृतराष्ट्र के हवाले,
तब जन्मी
आँखों वाले अंधों की संतति.
अनुबंध- जिसने लोभ के रहते,
चढ़ा दिया
कितनी ही अबलाओं को-
दहेज़ की बलिवेदी पर
अनुबंध- जिसमे बन जाते हैं जोड़े
बिन ब्याहे ही,
जिसने देह का व्यापार किया
आत्मा के नाम पर=====================================
8 टिप्पणियाँ
उच्च स्तरीय रचना...सब कुछ कह दिया है।
जवाब देंहटाएंअनुबंध- जिसने कर दिया सुमुखी गांधारी को
जवाब देंहटाएंअंधे धृतराष्ट्र के हवाले,
तब जन्मी
आँखों वाले अंधों की संतति.
बहुत अच्छी कविता---बधाई।
क्या कहने अनुबंध के
जवाब देंहटाएंहरा हो गया मन
गंभीर रचना
जवाब देंहटाएंअनुबंध- जिसने लोभ के रहते,
जवाब देंहटाएंचढ़ा दिया
कितनी ही अबलाओं को-
दहेज़ की बलिवेदी पर
bahut hi sunder kavita
badhai
rachana
APKI KAVITA SE JAISE MERE HRIDYA KA BHI ANUBANDH HO GAYA HAI. APKO BADHAI
जवाब देंहटाएंAJAY AGYAT
अनुबंध-जसमे बन जाते ह जोड़े बन याहे ह, जसने देह का यापार कया आमा के नाम पर
जवाब देंहटाएंSach ka aaina hai yeh panktiyan..
Badhai swikar kare
धन्यवाद आप सबको, रचना को पसंद करने के लिए.
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.