
वह जीवन का अनमोल पल हो गया
मैं गज़ल कह गया वह सज़ल हो गया
न जुबां ही खुली न इशारे हुये
प्रश्न आंखों ही आंखों में हल हो गया
यूं तो अरमान सारे हवा हो गये
यग्य जीवन का फिर भी सफल हो गया
मंजिलें मिलें न मिलें उम्र भर
किंतु चलने का निश्चय अटल हो गया
हमने सजदे किये अनसुने ही रहे
तुमने मुंह से कहा कि अमल हो गया
सिर्फ यादें लिये घूमता आपकी
जिंदगी से ही मैं बेदखल हो गया
एक नखरीली हल्की सी मुस्कान से
प्रश्न कितना कठिन था सरल हो गया
2 टिप्पणियाँ
acchhi gazal badhai
जवाब देंहटाएंpoonam bhalavi
अच्छा गज़ल...बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.