लाठ लँगोटी वाला बापू
हर दिल का दिलदार रहा॥
देश दुलारे बापू जी का
जनता से अति प्यार रहा॥
हिंसा के मारग का खँडन
अहिँसा का प्रचार रहा॥
आदि अँत तक फिरँगियों की
हर शै का बहिष्कार रहा॥
शस्त्र बिना जो लडी लडाई
"सत्याग्रह" हथियार रहा॥
रहनी करनी उनकी ऐसी
ज्यूँ गीता का सार रहा॥
प्रार्थना में निश्चय देवी
जीवन का श्रँगार रहा॥
2 टिप्पणियाँ
बच्चो के लिये बडी ही सुन्दर एवम सरल कविता..
जवाब देंहटाएंअच्छी गीतिका....बधाई
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और प्रस्तुतियों पर आपकी समालोचनात्मक टिप्पणियाँ हमें बेहतर कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करती हैं.